Papaya Cultivation: आम तौर पर देखा जाता है कि किसान धान-गेहूं, दलहन-तिलहन की खेती करते हैं. सालों से किसान पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं. धान-गेहूं, दलहन, सब्जियों की खेती आम है, लेकिन बिहार के इस किसान ने खेती की परंपरा को बदल किया और कम लागत में बड़ा मुनाफा कमा रहा है. बिहार के पश्चिम चम्पारण में रहने वाले युवा किसान मनिंदर कुशवाहा ने अपने दादा-पिता की तरह पारंपरिक खेती के बजाए पपीते की खेती शुरू की.  सबसे मना भी किया, लेकिन मनिंदर कुछ नया करना चाहते थे. 


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पपीते की खेती 


मनिंदर शुरू में केले की खेती कर रहे थे. आसपास के बाकी किसान भी केले की खेती में लगे हुए थे. मनिंदर ने नया करने की सोची. उन्होंने सर्वे किया तो पाया कि लोग पपीता खाना खूब पसंद करते हैं. बिहार के बाहर भी इसकी अच्छी सेल है. सर्वे के बाद मनिंदर ने पपीते की खेती शुरू कर दी. शुरुआत में घरवालों ने भी उसे रोका कि उससे गुजारा नहीं चल सकेगा, लेकिन मनिंदर ने ठान लिया था कुछ नया करेंगे.  उद्यान विभाग की मदद से मनिंदर ने जैविक तरीके से पपीते की खेती शुरु कर दी. उद्यान विभाग ने उसे पपीते के 1000 पौधे दिए. खेती का तरीका बताया.  उनकी मदद से मनिंदर ने खेती शुरू कर दी. 


3 लाख की कमाई  
मनिंदर ने बताया कि लोग कहते थे कि पपीते से कमाई नहीं होगी. उन्होंने लोगों की सुनने के बजाए मन की सुनी और 2 एकड़ में पपीता के पौधे लगाए हैं. इस समय तक वो 3 लाख रुपये तक की सेल कर चुके हैं. पपीते की खेती में बहुत मेहनत नहीं. एक बार पौधा लग जाने के बाद बार-बार फल लगते रहते हैं. इस खेती में लागत भी बहुत कम है, खाद-सिंचाई आदि पर बहुत खर्च नहीं होता.  केवल गोबर की खाद से ही पपीता का बेहतर उत्पादन कर सकते हैं. जो पौधे उन्हें उद्यान विभाग की ओर से मिले थे, उसमें से 900 पौधे अभी जीवित हैं. अब तक उनके खेतों में 55 क्विंटल पपीता उत्पादन हो चुकी है और अभी भी पेड़ फल से लदे हैं.