पूर्व जन्म की अवधारणा सच है? याद ना रहने के पीछे क्या हैं धार्मिक-वैज्ञानिक कारण
Past Life Regression in Hindi: हिंदू धर्म समेत कुछ अन्य पंथों में भी पूर्व जन्म की अवधारणा को महत्व दिया गया है. साथ ही कर्मों का लेखा-जोखा भी जन्म-जन्मांतर के हिसाब से होता है. लेकिन पूर्व जन्म याद क्यों नहीं रहता है इसके पीछे कुछ धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं.
पिछला जन्म याद क्यों नहीं रहता: कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जिसमें किसी बच्चे या वयस्क को अपना पूर्व जन्म याद रह जाता है. साथ ही उसके द्वारा बताई गई पिछले जन्म की घटनाएं सच भी निकलती हैं. वैसे भी हिंदू धर्म समेत देश-दुनिया के कुछ अन्य धर्मों में भी पूर्व जन्म की अवधारणा को सच माना गया है. लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि पूर्व जन्म होता है तो वह याद क्यों नहीं रहता है. पिछला जन्म याद नहीं रहने के पीछे कुछ धार्मिक और वैज्ञानिक जिम्मेदार हैं. हालांकि विज्ञान में पूर्व जन्म को लेकर लंबे समय से लगातार शोध चल रहे हैं. आइए जानते हैं कि यदि पूर्व जन्म होता है तो उसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या हैं.
पिछला जन्म याद ना रहने के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण
दरअसल वैज्ञानिक पहले के अनुसार हमारे दिमाग की संरचना और कार्य प्रणाली ऐसी है कि हमें ज्यादा पुरानी बातें याद नहीं रहती है. लिहाजा हम नई बातों के आगे पुरानी बातों को भूल जाते हैं. इससे हमारे दिमाग पर बेवजह का बोझ नहीं पड़ता है और हम पुरानी बातों को भूलकर वर्तमान-भविष्य पर अच्छे से फोकस कर पाते हैं. इस कारण हमें पूर्व जन्म की बातें भी याद नहीं रहती हैं.
पूर्व जन्म याद ना रहने के पीछे धार्मिक मान्यता
इसके अलावा धर्म शास्त्रों के अनुसार पूर्व जन्म याद ना रहने की व्यवस्था के पीछे वजह है कि यदि व्यक्ति को अपना पूर्व जन्म याद रह जाए तो उसका मौजूदा जीवन बेहद असहज हो जाएगा. उसे हर समय पुराने जन्म के कर्म, उसके साथ हुई घटनाएं, मौत आदि याद रहेंगी और वह डर के साए में जिएगा. लिहाजा बेहतर है कि वह जन्म के बाद समय के साथ पूर्व जन्म की यादों को भूल जाएगा.
... पूर्व जन्म याद करने के ये हैं तरीके
हालांकि पूर्व जन्म को याद करने के तरीके भी हैं, जिनकी मदद से अपने पुराने जन्म के बारे में जाना जा सकता है. इसे पास्ट लाइफ रेगरेशन (Past Life Regression) कहते हैं. सम्मोहन से जुड़ी इस विद्या का उपयोग लोग पुराने जन्म की यादें वापस पाने के लिए करते हैं. कई जगह इसका उपयोग थैरेपी के तौर पर भी होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)