Ratan Tata No More: सुपेकर उस समय महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजरन जनरल बी जी शिवले के एड-डि-कैंप (सहायक) थे. सुपेकर बताते हैं कि उन्होंने समुद्र किनारे क्लब के रास्ते पर चहलकदमी करने के दौरान टाटा के साथ एक बातचीत में अपने एक सहयोगी के बेटे का विषय उठाया था. रिटायर्ड सैन्य अधिकारी अब पुणे में रहते हैं.
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Ratan Tata Dead: बात 1992 की है. मुंबई के यूनाइटेड सर्विसेस क्लब में कुछ दूरी से ‘हाय कैप्टन’ के अभिवादन की आवाज आती थी और उद्योगपति रतन टाटा और सेना के युवा कैप्टन विनायक सुपेकर साथ-साथ टहलते हुए गुफ्तगू करते थे, अपने किस्से साझा करते थे. इस घटना के 32 साल बाद जब देश रतन टाटा के निधन पर शोक मना रहा है, कर्नल सुपेकर (रिटायर्ड) उनके साथ अपनी बातचीत को याद करते हैं. टाटा का बुधवार रात शहर के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. वह 86 वर्ष के थे.
सुपेकर उस समय महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजरन जनरल बी जी शिवले के एड-डि-कैंप (सहायक) थे. सुपेकर बताते हैं कि उन्होंने समुद्र किनारे क्लब के रास्ते पर चहलकदमी करने के दौरान टाटा के साथ एक बातचीत में अपने एक सहयोगी के बेटे का विषय उठाया था. रिटायर्ड सैन्य अधिकारी अब पुणे में रहते हैं.
रतन टाटा को बताई थी सहयोगी की बात
उन्होंने कहा, 'मैंने सर (रतन टाटा) से कहा कि एक साथी सैन्य अधिकारी का बेटा कमर से नीचे से विकलांग है और उसे नौकरी की जरूरत है.' उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र और गुजरात क्षेत्र के मुख्यालय में मेरे तत्कालीन सहयोगी लेफ्टिनेंट कर्नल बी एस बिष्ट का बेटा विजय विष्ट एक घोड़े से गिरकर बुरी तरह घायल हो गया था और उसके पैरों में गंभीर चोट आई थीं. मुझे पता चला था कि वह नौकरी की तलाश कर रहा है.'
सुपेकर के मुताबिक टाटा ने कहा कि जो भी जरूरी होगा, करेंगे. उन्होंने कहा, 'अगली सुबह विजय को दक्षिण मुंबई स्थित टाटा समूह के मुख्यालय बंबई हाउस से फोन आया और प्रशासनिक सेक्शन में काम पर आने को कहा गया.' रतन टाटा ने इस घटना के एक साल पहले ही अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह की कमान संभाली थी. सुपेकर ने कहा, 'कोलाबा में सेना का एक पशु चिकित्सालय था और रतन टाटा अपने कुत्ते को नियमित जांच के लिए वहां ले जाते थे. एक बार, एक साथी सैन्य अधिकारी ने टाटा को धैर्यपूर्वक कतार में अपनी बारी का इंतजार करते देखा. अधिकारी, जो मेरे एक दोस्त थे, उन्होंने उनसे कतार से बाहर निकलकर आगे जाने के लिए कहा लेकिन उन्होंने विनम्रता से मना कर दिया.'
विनम्रता देख रह गए थे हैरान
उन्होंने कहा कि सैन्य अधिकारी इतने बड़े उद्योगपति की ऐसी विनम्रता देखकर हैरान रह गए. सुपेकर ने बताया कि टाटा ने एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के अनुरोध पर सियाचिन में 403 फील्ड अस्पताल को एक सीटी स्कैन मशीन दी थी. उन्होंने कहा, 'यह मशीन सियाचिन के जवानों, नुबरा और श्योक घाटियों में रहने वाले आम नागरिकों और पर्यटकों के लिए वरदान साबित हुई और इसने कई बेशकीमती जान बचाने में मदद की.' साल 1992 के बाद सुपेकर और टाटा की फिर कभी मुलाकात नहीं हुई. हालांकि पूर्व सैन्य अधिकारी को इस पर अफसोस नहीं है. वह कहते हैं कि उस एक साल में ही उन्हें सर रतन टाटा का भरपूर स्नेह मिला.