Car Waiting Period In India: आज कल गाड़ियों पर ज्यादा वेटिंग पीरियड मिलता है. कुछ कारों पर तो लगभग डेढ़ साल तक का वेटिंग पीरियड है. यानी, आज बुकिंग करेंगे तो डिलीवरी डेढ़ साल बाद मिलेगी. लोगों को इसकी शिकायत भी रहती है कि डिलीवरी इतनी देर से क्यों हो रही है लेकिन वह कर ही क्या सकते हैं, कंपनी जब डिलीवरी देगी, तभी लेनी पड़ेगी. हालांकि, क्या आपने यह सोचा है कि कहीं वेटिंग पीरियड के नाम पर कोई स्कैम तो नहीं हो रहा? चलिए, कुछ बातों को समझते हैं.


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मार्केटिंग
कार मेकर्स के लिए वेटिंग पीरियड फायदा सौदा होता है. जब कोई व्यक्ति किसी कार पर 4 महीने, 6 महीने, 8 महीने, 10 महीने या दो साल का वेटिंग पीरियड देखता है तो उसे लगता है कि यह कार तो बहुत ही ज्यादा हिट है, और पॉपुलर हो गई है. आपको लगेगा कि कार की बहुत डिमांड है और बहुत ज्यादा संख्या में लोग इसे खरीद रहे हैं. ऐसे में आप भी उसे खरीदने के बारे में सोचेंगे क्योंकि आपको लगेगा कि जब इतने लोग इसे कार को खरीद रहे हैं तो कार अच्छी ही होगी. इसी का फायदा कार मेकर्स को मिलता है. इससे बुकिंग और बढ़ती हैं. कई डीलर्स तो कारों के वेटिंग पीरियड को बड़े-बड़े अक्षरों में हाईलाइट करके लिखते हैं. ताकि, ग्राहक उसे पढ़ें.


डिलीवरी स्कैम!
कई बार डीलरशिप भी ज्यादा लंबे वेटिंग पीरियड का फायदा उठाती हैं. आपको याद होगा कि महिंद्रा एक्सयूवी 700 और महिंद्रा थार जैसी पॉपुलर एसयूवी के लॉन्च के बाद इनका वेटिंग पीरियड बहुत ज्यादा था, जिसका फायदा कई डीलरशिप ने उठाया. जल्दी डिलीवरी करने के नाम पर ग्राहकों से ज्यादा पैसे लिए गए. इसके अलावा, वेटिंग पीरियड ज्यादा होने के कारण ग्राहकों से टॉप वेरिएंट खरीदने के लिए कहा गया और कहा गया कि टॉप वेरिएंट की डिलीवरी जल्दी मिल जाएगी. इससे जो ग्राहक पहले कम पैसे खर्च करके निचला वेरिएंट ले रहा था, वह ज्यादा पैसे खर्च करके टॉप वेरिएंट पर शिफ्ट हुआ. इससे डीलरशिप और कंपनी, दोनों को फायदा पहुंचा.


सप्लाई चेन
हालांकि, बात सिर्फ इतनी नहीं है. पिछले कुछ समय में सप्लाई चेन भी प्रभावित रही है, जिससे कारों के निर्माण और आपूर्ति पर असर पड़ा है. साल 2020 में कोरोना वायरस आने के बाद से सप्लाई चेन प्रभावित है. सेमीकंडक्टर की भी कमी का सामना करना पड़ है. इससे कारों की मैन्युफैक्चरिंग कम हुई लेकिन डिमांड बनी रही. इस कारण भी वेटिंग पीरियड बढ़ा है.


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