Airless Tyre Technology: कार, बाइक, बस या अन्य वाहनों... आपनी सभी में जो टायर देखे होंगे, उनमें एयर भरी जाती है. इन टायर्स में पंचर होने का खतरा होता है. लेकिन, ओहियो बेस्ड कंपनी SMART (शेप मेमोरी अलॉय रेडियल टेक्नोलॉजी) ने खास एयरलेस टायर (Airless Tires) बनाए हैं, जिनकी प्रेरेणा नासा (NASA) की रोवर टायर तकनीक से ली गई. हालांकि, यह पहला मौका नहीं है कि जब एयरलेस टायर कॉन्सेप्ट को दिखाया हो. इससे पहले ब्रिजस्टोन, मिशिलिन आदि कंपनियां भी इस तरह के कॉन्सेप्ट को पेश कर चुकी हैं. 


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एयरलैस टायर 


लेकिन, फर्क यह है कि SMART के एयरलेस टायर बिक्री के लिए उपलब्ध करा दिए गए हैं. कंपनी का कहना है कि 'जिस तकनीक का इस्तेमाल NASA चांद आदि पर भेजे गए रोवर्स में करता है, वैसी ही टेक्नोलॉजी से प्रेरित होकर हमने टायर डेवलप किए हैं.' फिलहाल, इन टायरों को सिर्फ साइकिल के लिए बनाया गया है लेकिन भविष्य में कंपनी कार और बाइक्स के एयरलैस टायर भी बना सकती है.


खराब नहीं होगा


ऐसा कहा जा रहा है कि टायर अपनी कॉइल-स्प्रिंग आंतरिक संरचना के कारण ख़राब नहीं होगा. इस टायर में न हवा भरने की जरूरत होती है और न ही इसमें पंचर का खतरा हेाता है. ये टायर रबर से नहीं बल्कि मेटल से बना है. इसमें स्लिंकी जैसा स्प्रिंग है, जो टायर के चारों ओर लगाया गया है. यह स्प्रिंग निकल-टाइटेनियम मेटल से बना है. इस मेटल को नीटिनॉल (NiTinol) भी कहते हैं. 


खासियत


इसकी खासियत यह है कि यह टाइटेनियम की तरह मजबूत और रबर की तरह लचीला होता है. जब नीटिनॉल पर दबाव बढ़ता है तो शुरू में इसका आकार बदलता है लेकिन बाद में यह पुराने आकार में आ जाता है. इससे मेटल टायर को धीरे-धीरे कंप्रेस होने और रिबाउंड होने की क्षमता मिलती है. यह वैसे ही नजर आता है जैसे कि आम रबर टायर.