Challenges After Buying Electric Car: भारत में इलेक्ट्रिक कारों की लोकप्रियता बढ़ रही है लेकिन कई ऐसी चुनौतियां हैं, जो इलेक्ट्रिक कार मालिकों को परेशान करती हैं. ऐसे में अगर आप इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको इनके बारे में पता होना चाहिए क्योंकि यह भविष्य में आपको भी परेशान कर सकती हैं. चलिए, आपको ऐसी 4 समस्याओं के बारे में बताते हैं, जो इलेक्ट्रिक कार खरीदने के बाद आपके सामने भी आ सकती हैं.


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सीमित चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर
भारत में इलेक्ट्रिक कार मालिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों इंफ्रास्ट्रक्चर की है. दरअसल, अभी तक इलेक्ट्रिक कार के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हो सका है, सीमित चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में ही काम चल रहा है. फिलहाल, देश में सीमित संख्या में चार्जिंग स्टेशन हैं, जिससे इलेक्ट्रिक कार मालिकों लंबी यात्रा के दौरान चार्जिंग से जुड़ी परेशानी होती है.


रेंज की चिंता
इलेक्ट्रिक कारों के साथ रेंज को लेकर चिंता (Range anxiety) भी जुड़ी रहती है. इलेक्ट्रिक कारों की रेंज सीमित होती है. ऐसे में चार्ज खत्म होने की चिंता किए बिना लंबी यात्रा की प्लानिंग करना एक चुनौती जैसा है. यात्रा के दौरान बार-बार आपका ध्यान रेंज और बची हुई चार्जिंग पर जाता है. इससे कई बार anxiety जैसी स्थिति भी बन जाती है.


बैटरी डिग्रेडेशन
समय बीतने के साथ ही बैटरी की परफॉर्मेंस कम होती जाती है, जिससे रेंज और पावर पर असर पड़ता है. बैटरी को बदलवाना महंगा हो सकता है और कार खरीदने के कुछ सालों बाद इसकी जरूरत पड़ सकती है. अगर बैटरी बदलवानी पड़ी तो समझ लीजिए कि लाखों रुपयों का खर्चा पक्का होना है. 


ज्यादा शुरुआती लागत
आम तौर पर इलेक्ट्रिक कारें अपने पेट्रोल या डीजल वर्जन की तुलना में ज्यादा महंगी हैं. उदाहरण के तौर पर टाटा नेक्सन को ले लीजिए. इसके ईवी और पेट्रोल वर्जन की कीमत में लाखों रुपये का अंतर है. ऐसे ही कई अन्य कारों के भी उदाहरण हैं.


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