Tyre Testing: इस खास कमरे में होती है टायर की टेस्टिंग, 50 करोड़ की मशीन, माइक में रिकॉर्ड होती है आवाज
How tyre is made: कार या बाइक का टायर वाहन के माइलेज से लेकर उसकी परफॉर्मेंस तक को तय करता है. यह अकेला हिस्सा होता है, जो सीधा सड़क से संपर्क में रहता है. यही वजह है कि एक टायर को बनाने से पहले कई तरह की टेस्टिंग करना जरूरी होता है.
Tyre Manufacturing Process in Hindi: किसी भी वाहन के लिए उसका टायर एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह अकेला हिस्सा होता है, जो सीधा सड़क से संपर्क में रहता है. कार या बाइक का टायर वाहन के माइलेज से लेकर उसकी परफॉर्मेंस तक को तय करता है. यही वजह है कि एक टायर को बनाने से पहले कई तरह की टेस्टिंग करना जरूरी होता है. दिग्गज टायर कंपनी JK TYre के विक्रांत प्लांट ने हाल ही में अपने 25 साल पूरे किए हैं. इस मौके पर कंपनी ने टायर की रिसर्च से लेकर इसे तैयार किए जाने की प्रक्रिया के बारे में बताया है. यहां हम आपको टायर मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बता रहे हैं, जो शायद आपने पहले नहीं सुने होंगे.
1. तैयार होता है सैंपल
किसी भी टायर को बाजार में लाने से कंपनी टायर का एक छोटा रूप तैयार करती है. इसे हम प्रोटोटाइप कह सकते हैं. कंपनी टायर में शामिल होने वाले हर मैटिरियल को अलग-अलग टेस्ट करती है. इसकी क्वालिटी की जांच करती है. बाजार के लिए टायर तैयार करना एक लंबी प्रक्रिया है. इसकी टेस्टिंग, निरीक्षण और क्वालिटी जांच में महीनों लग सकते हैं.
2. ऐसे होती है मैन्युफैक्चरिंग
टायर मैन्युफैक्चरिंग में विभिन्न प्रकार के कच्चे माल का इस्तेमाल होता है. शुरुआत में तेल, कार्बन ब्लैक, एंटीऑक्सिडेंट्स और अन्य पदार्थो के साथ रबड़ को मिलाया जाता है. इन्हें बैनबरी मिक्सर में उच्च दबाव में एक साथ मिलाया जाता है. उसके बाद सामग्री को अन्य मशीनों में भेजा जाता है. टायर के अलग-अलग पुर्जे तैयार होते हैं. सभी पुर्जे बन जाने के बाद, उन्हें टायर बनाने वाली मशीन में भेज दिया जाता है. टायर पर पैटर्न तैयार किया जाता है और इसके साइज और ब्रैंडिंग लिखी जाती है. एक बार टायर पूरा होने के बाद उसकी टेस्टिंग की जाती है.
3. टायर परीक्षण क्या है?
टायर टेस्टिंग में रोलिंग रेजिस्टेंस, माइलेज, रोलिंग नॉइस और रोड परफॉर्मेंस (जैसे ब्रेकिंग, हैंडलिंग) का परीक्षण शामिल हैं. किसी भी टायर को बाजार में लाने से पहले इसकी सेफ्टी भी जांची जाती है. प्लांट में अलग-अलग मशीनों पर टायर को रखा जाता है. इसे मशीनों द्वारा ऐसे टेस्ट किया जाता है, मानों यह वाहन में ही चल रहा हो.
4. 50 करोड़ की मशीन से टेस्टिंग
परफॉर्मेंस और माइलेज चेक करने के अलावा टायर की आवाज को भी जांचना होता है. इसके लिए JK Tyre के प्लांट में एक खास कमरा बना है. इसे एनेकोइक चैंबर (anechoic chamber) कहा जाता है. इसे तैयार करने में 50 करोड़ (मशीनों समेत) का खर्च आया था. एनेकोइक चैम्बर इंजन और टायरों की आवाज की निगरानी, विश्लेषण और कंट्रोल करने में मदद करता है. खास बात है कि इस कमरे में किसी प्रकार की आवाज गूंजती नहीं है. यहां ट्रक से लेकर स्कूटर तक को मशीन पर चलाया जाता है और माइक के जरिए टायर की आवाज रिकॉर्ड की जाती है.
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