Pitru Paksha Shradh Vidhi: हिंदू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि अगर पूवर्जों का तर्पण या श्राद्ध न किया जाए, तो उनकी आत्म को शांति नहीं मिलती और जीवन में पितृ दोष लगने से कई तरह की परेशानियां हो जाती हैं. बता दें कि इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से होने जा रही है और अश्विन अमावस्या तक रहेंगे. इन 16 दिनों में पितरों को याद कर उनके निमित्त श्राद्ध आदि किया जाता है. मान्यता है कि इन 16 दिनों में पितरों की आत्मा धरती पर आती हैं, वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध और तर्पण से तृप्ति होकर वापस लौटते हैं.   


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श्राद्ध अनुष्ठान के दौरान ब्राह्मण पुजारियों को भोजन, कपड़े और दान आदि दिया जाता है. इतना ही नहीं, इस माह में पितरों को जल देना बेहद शुभ माना गया है. इसलिए उन्हें जल देते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.  आइए जानते हैं पितृ पक्ष से जुड़े कुछ खास और जरूरी नियमों के बारे में. 


पितरों को जल देने का सही तरीका 



बता दें कि पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध आदि किया जाता है. इस दौरान पिंडों पर अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि अगर पितरों को अंगूठे से जल दिया जाता है तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. 


जल देते समय रखें खास ध्यान


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितरों को जल देते समय पूर्वजों का ध्यान करना चाहिए. और ध्यान करें कि वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों. इसके बाद जल अर्पित करें.  



जल देते समय लें गोत्र का नाम


बता दें कि गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र को दोहराते हें और पितामह को भी 3 बार जल दें. 


किस समय दें पितरों को जल


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पूर्वजों को सुबह 11:30 से 12:30 के बीच में जल देना चाहिए. जल देते समय इस बात का ध्यान रखे कि लोटा हमेशा पीतल का या फिर कांसे का होना चाहिए. इसके अलावा स्टील का लोटा भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
 
पितरों से यूं मांगे क्षमा


बता दें कि अगर आप पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे हैं, तो पितरों के नाम का उच्चारण करते समय आपके द्वारा हुई गलतियों की उनसे क्षमा मांग लें और फिर जल अर्पित करें. पितरों का दिया जाने वाला जल किस साफ बर्तन में ही चढ़ाएं. इसके बाद इस जल को तुलसी के पौधे और मदार के पौधे में शामिल करें.  


यूं करें पितरों का तर्पण


पितरों का तर्पण करते समय दिशा का खास ख्याल रखें. तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं. इसके बाद हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लें और दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करें.   उन्हें जल ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करें और प्रार्थना करें. इसके बाद अंजलि से जल को 11 बार जमीन पर गिराएं.  


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)