Maharashtra Politics: संजय राउत के बयान पर नजर मारिए तो एक नई बयार बहती तो दिख रही है. राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की मधुर संगीत यहां की राजनीति ही है, हमारी आलोचना रचनात्मक होती है, लेकिन जब अच्छा काम होता है, तो हम उसकी सराहना भी करते हैं.
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CM Devendra Fadnavis: ऐसा तो ही ही नहीं सकता कि समकालीन राजनीतिक विमर्श में महाराष्ट्र की राजनीति की चर्चा ही ना हो. वहां के नेता ऐसा होने ही नहीं देंगे. अब ताजा मामला देखिए ना.. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जमकर कोसने वाले विपक्षी नेता अब तारीफों के पुल बांधते नजर आ रहे हैं. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना यूबीटी ने पहले अपने मुखपत्र 'सामना' में फडणवीस की सराहना की, फिर खुद उद्धव और संजय राउत में होड़ लग गई. उधर सुप्रिया ने भी देर नहीं लगाई. हुआ यह कि सामना के संपादकीय में उनके गढ़चिरौली दौरे की प्रशंसा की गई.. इसे विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बता दिया गया. फिर इस पर चर्चा चल ही रही थी उद्धव खुद तारीफ पर उतर आए.
असल में शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में फडणवीस के लिए लिखा गया कि उन्होंने नए साल की शुरुआत गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास कार्यों से की, जो अन्य नेताओं के लिए एक मिसाल है. यह तब और चौंकाने वाला लगा जब एक दिन पहले ही ‘सामना’ ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए उन्हें “डिप्रेशन” में बताया था. इस बदलते रुख ने सियासी गलियारों में चर्चा छेड़ दी है कि क्या यह केवल फडणवीस के काम की तारीफ है या कुछ बड़ा संकेत है?
संजय राउत और सुप्रिया सुले की भी प्रतिक्रिया..
सामना के लेख के बाद शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी हमेशा सच्चाई का समर्थन करती है. फडणवीस ने गढ़चिरौली में जो किया, वह राज्य के लिए गर्व की बात है. राउत ने तो यह भी कहा कि महाराष्ट्र की मधुर संगीत यहां की राजनीति ही है, हमारी आलोचना रचनात्मक होती है, लेकिन जब अच्छा काम होता है, तो हम उसकी सराहना भी करते हैं. उधर एनसीपी शरद पवार की नेता सुप्रिया सुले ने भी फडणवीस की तारीफ करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार में अगर कोई काम कर रहा है, तो वह सिर्फ देवेंद्र फडणवीस हैं.
इस पर फडणवीस क्या बोल पड़े..
ऐसे सवालों का मुस्कुराकर जवाब देने वाले मुख्यमंत्री फडणवीस ने विपक्ष की सराहना पर संयमित प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि मैं उन सभी का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने मेरे काम को सराहा. गढ़चिरौली में विकास की पहल केवल शुरुआत है. हमारा उद्देश्य है कि महाराष्ट्र के हर कोने में विकास पहुंचे. वहीं एकनाथ शिंदे के गुट ने इसे उद्धव की राजनीतिक मजबूरी बताते हुए उन पर कटाक्ष किया.
आखिर अब क्या होने वाला है?
इस बदली बयार पर राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि उद्धव ठाकरे की यह पहल केवल प्रशंसा नहीं, बल्कि आगामी निकाय चुनावों के मद्देनजर एक रणनीतिक कदम हो सकती है. महाराष्ट्र में हालिया चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद उद्धव गुट बीजेपी के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर सकता है. यह भी संभव है कि यह केवल एक सामान्य राजनीतिक शिष्टाचार हो, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में संभावनाओं के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं. फिलहाल क्या यह बदलाव भविष्य के किसी गठबंधन की बुनियाद है या कुछ और जल्द ही समय इसका भी पटाक्षेप करेगा.