Raksha Bandhan History: रक्षाबंधन का त्योहार देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. ये त्योहार भाई-बहनों के अटूट बंधन और प्रेम का त्योहार है. इस दिन बहनें भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और उनकी लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना करती हैं. वहीं, भाई भी बहनों की रक्षा का वचन देते हुए उन्हें उपहार देते हैं. सालों से हम ऐसे ही इस त्योहार को मनाते आ रहे हैं. लेकिन हम में से बहुत कम लोग है, जो इसके पीछे की कथा को जानते हैं. जी हां, भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधन के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसे जानने के बाद इस त्योहार को मनाने का मजा दोगुना हो जाएगा. आइए जानते हैं इन कथाओं के बारे में. 


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रक्षाबंधन पर रक्षासूत्र बांधने की पीछे की पहली कथा


पौराणिक कथा के अनुसार मां लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधा था और उपहार में उनसे भगवान विष्णु को मांगा था. कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया और राजा बलि के पास पहुंचे और उनसे दान मांगा. उस समय राजा बलि ने भगवान वामन को तीन भग भूमि दान देने का वचन दिया. तब श्री हरि ने एक पग में आकाश, दूसरे पग में पाताल नाप लिया. जैसे ही भगवान विष्णु ने तीसरा पग उठाया, राजा बलि का घमंड टूट गया और अपना सर श्री हरि के सम्मुख रख दिया. तब भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर राजा बलि को वरदान मांगने को बोला. 


वरदान मांगते हुए राजा बलि ने भगवान विष्णु से प्रभु के हमेशा सामने रहने के कहा. जब वाक्या का पता जब मां लक्ष्मी को लगा तो वह भगवान विष्णु को वापस लेने के लिए रुप बदलकर पहुंच गई. वहां उन्होंने राजा बलि को भाई मानते हुए उनके हाथ में रक्षासूत्र बांधा. उस समय धन की देवी ने राजा बलि से भगवान विष्णु को मांग लिया. तभी से रक्षासूत्र बांधने की परंपरा शुरू हो गई. 


रक्षाबंधन से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा


दूसरी कथा के मुताबिक महाभारत के समय एक बार भगवान श्री कृष्ण को अंगुली में चोट लग जाने के कारण काफी खून बह गया था. ये देखकर द्रोपदी ने अपने आंचल का पल्लू फाड़ा औप उनकी अंगुली में बांध दिया. बता दें कि द्रोपदी श्री कृष्ण की सखी थी. तभी से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई. बता दें कि द्रोपदी के चीरहरण के दौरान श्री कृष्ण ने लाज बचाकर द्रोपदी की मदद की थी. 


रक्षाबंधन 2023 शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त  2023 को 10 बजकर 58 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन 31 अगस्त  सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगी. ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व 30 और 31 अगस्त दोनों ही दिन मनाई जाएगी. बता दें कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 9 बजकर 1 मिनट से 31 अगस्त  सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक है. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)