नई दिल्ली: घर खरीदारों के लिए बड़ी खबर है. अब उन्हें बरसों से अटका अपना घर मिल जाएगा. दरअसल, रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के पूरे होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. क्योंकि, अब बिल्डर नहीं कुछ कंपनियां मिलकर आपके घर को पूरा करेंगी और जल्द से जल्द पजेशन देंगी. रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को बैंक लोन देने के लिए राजी हो गए हैं. बैंक ऐसे प्रोजेक्ट्स को लोन देंगे जो पैसे की कमी के कारण निर्माण पूरा नहीं कर सके हैं, लेकिन 60 से 70 फीसदी तक पूरे हो चुके हैं. 


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सरकारी कंपनी करेगी पूरा
रुके हुए हाउसिंग प्रॉजेक्ट के पूरे होने करने की जिम्मेदारी सरकारी कंपनियों पर होगी. बैंक सिर्फ इन प्रोजेक्ट्स के लिए लोन देंगे. लेकिन, प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने और उसे पूरा करने की जिम्मेदारी एनबीसीसी या दूसरी सरकारी कंपनियों पर होगी. यह कंपनियां इसके लिए प्लान बनाएंगी और प्रोजेक्ट पूरा करने की जिम्मेदारी भी लेंगी. 


वित्त मंत्रालय ने की बैठक
जी बिजनेस की खबर के मुताबिक, पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में बैठक की थी. इस बैठक में बैंक, रियल एस्टेट कंपनियों के प्रतिनिधि और नीति आयोग के अधिकारियों शामिल हुए थे. बैठक में बैंकों ने रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए लोन देने की हामी भरी. सूत्रों की मानें तो बैंक सरकारी कंपनियों के प्लान के बाद ही लोन देंगी. 


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NBCC को मिली जिम्मेदारी
सूत्रों की मानें तो सरकार ने एनबीसीसी को ऐसे प्रोजेक्ट्स की लिस्ट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है. एनबीसीसी का काम होगा कि वह प्रोजेक्ट्स से जुड़ी तमाम जानकारी (जैसे जमीन, ग्राहक और कितनी राशि खर्च हो चुकी है) जुटाएगी. जानकारी इकट्ठा करने के बाद ही बिल्डर से बातचीत कर प्लान फाइनल किया जाएगा. इसके बाद बैंक हाउसिंग प्रोजेक्ट का काम शुरू करने के लिए बैंकों को लोन देगा.


लोन रिकवरी के लिए फॉर्मूला तैयार
वित्त मंत्रालय ने ऐसे प्रोजेक्ट्स से लोन रिकवरी का प्लान भी तैयार किया है. वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, लोन रिकवरी के लिए कई फॉर्मूले बनाए गए हैं. पहला फॉर्मूला है कि बिल्डर के प्रोजेक्ट्स के पास अगर कोई जमीन खाली है या बिल्डर की ही जमीन का कोई हिस्सा खाली है तो उसका इस्तेमाल कमर्शियल तौर पर किया जा सकता है. बिल्डरों से इसका समझौता किया जाएगा. दूसरा प्रस्ताव है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद पजेशन देने से पहले होम बायर्स से जो राशि वसूल की जाएगी, उस पर पूरा हक बैंकों का होगा.


होम बायर्स को होगा फायदा 
रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन घर खरीदारों के पैसे ऐसे प्रोजेक्ट्स में फंसे हैं. उन पर दोहरा बोझ है. वह घर के एवज में लिए गए लोन की ईएमआई भर रहे हैं. वहीं, घर नहीं मिलने पर किराए के मकान पर खर्च कर रहे हैं.


सरकार के पास दूसरा विकल्प
सरकार के पास दूसरा विकल्प है कि वह रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए खुद फंड मुहैया कराए और बाद में उसकी वसूली बिल्डर से करे. सरकार ने हाल ही में कहा था कि वह बिल्डरों की संपत्ति बेचकर अपनी वसूली कर सकती है. हालांकि, यह एक लंबी प्रक्रिया है, क्योंकि सरकार फंड करने से पहले ऐसे प्रोजेक्ट्स की पहचान करनी होगी. फिर उन प्रोजेक्ट्स की ऑडिटिंग होगी और उसके बाद लागत के हिसाब से उसे फंड मुहैया कराया जाएगा. ऐसे में संभावनाएं कम हैं कि लागत के अनुरूप फंड मिलने के बाद भी प्रोजेक्ट पूरा हो सके. वहीं, प्रोजेक्ट पूरा होने की स्थिति में भी उसके बाद डेवलपर्स से वसूली की प्रक्रिया शुरू होगी.