New Labour Code: कर्मचारियों का इंतजार खत्म, न्यू लेबर कोड पर केंद्रीय मंत्री ने दी बड़ी जानकारी, जानिए कब होगा लागू?
New Labour Code Update: भूपेंद्र यादव ने एक कार्यक्रम में कहा कि नए लेबर कोड के माध्यम से रोजगार के नए मौके बनेंगे. साथ ही बेहतर पूंजी निर्माण और कौशल विकास होगा. चार लेबर कोड पर राज्यों ने आपका पक्ष रख दिया है. आइये जानते हैं लेटेस्ट अपडेट.
New Labour Code: केंद्र सरकार नए लेबर कोड (Labour Code) को लागू करने की तैयारी में है. उम्मीद थी कि इस साल जुलाई से न्यू वेज कोड लागू हो सकता है, लेकिन सरकार की तरफ से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इस बीच केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने बताया कि नए लेबर कोड को लागू करने के पीछे सरकार की योजना क्या है. दरअसल, भूपेंद्र यादव ने एक कार्यक्रम में कहा कि नए लेबर कोड के माध्यम से रोजगार के नए मौके बनेंगे. साथ ही बेहतर पूंजी निर्माण और कौशल विकास होगा.
केंद्रीय मंत्री ने दी बड़ी जानकारी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट, पुणे में आयोजित कार्यक्रम में भूपेंद्र यादव ने बताया कि नए लेबर कोड का उद्देश्य मुकदमा-मुक्त समाज का निर्माण करना है. इससे अनावश्यक अपराधीकरण पर रोक लगेगा. भूपेंद्र यादव ने कहा, 'हमने पुराने कानूनों को युक्तिसंगत बनाया है और पुरुषों व महिलाओं दोनों के लिए उचित मेहनताना सुनिश्चित करने के लिए ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड वेज स्टैंडर्ड पर विचार किया है. 29 विभिन्न अधिनियमों को चार नए लेबर कोड में तब्दील कर दिया गया है.'
लागू होंगे चार नए कोड
नए लेबर कोड के तहत चार नए कोड को शामिल किया है. वेज (Wage), सोशल सिक्योरिटी (Social Security), इंडस्ट्रियल रिलेशंस (Industrial Relations) और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी (Occupational Safety) से जुड़े हैं. भूपेंद्र यादव ने बताया कि नए लेबर कोड के तहत ऑक्यूपेशनल सेफ्टी को लागू करने के लिए कानून बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि नए लेबर कोड में सोशल सिक्योरिटी फंड का प्रावधान है. आपराधिक प्रावधान वाले कानूनों को 1,500 से घटाकर सिर्फ 22 इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड में शामिल कर दिया गया है. इस वजह से श्रमिकों और नियोक्ताओं दोनों के लिए एक उपयुक्त नया वातावरण बनेगा.
श्रमिकों ने कराया रजिस्ट्रेशन
भूपेंद्र यादव ने बताया, 'नया लेबर कोड संगठित और असंगठित दोनों प्रकार के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करता है. इसमें असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण का भी प्रावधान है उन्होंने बताया कि 4 लाख सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से 7 महीनों में 28 करोड़ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों ने ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है. यादव ने कहा कि हमने सभी श्रमिकों को बीमा कवर भी प्रदान किया है. मैं लेबर यूनियंस से भी कहता हूं कि हमारी सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. सभी यूनियनों ने हमारा साथ दिया है.'
गौरतलब है कि नए लेबर कोड को एक जुलाई से ही लागू करने की चर्चा थी, लेकिन सभी राज्य कोड पर अपने ड्राफ्ट तैयार नहीं कर सके थे. इस वजह से नए लेबर कोड को लागू नहीं किया जा सका. ये पूरे देश में कब तक लागू होगा, इसपर अभी कोई खबर सामने नहीं आई है.
नए वेज कोड में है क्या ?
वेज कोड एक्ट (Wage Code Act), 2019 के मुताबिक, किसी कर्मचारी का मूल वेतन (Basic Salary) कंपनी की लागत (CTC) का 50 परसेंट से कम नहीं हो सकता है. अभी कई कंपनियां बेसिक सैलरी को काफी कम करके ऊपर से भत्ते ज्यादा देती हैं ताकि कंपनी पर बोझ कम पड़े. आइये जानते हैं इसके प्रावधानों के बारे में.
सैलरी स्ट्रक्चर पूरी तरह बदल जाएगा
वेज कोड एक्ट (Wage Code Act), 2019 के लागू होते ही कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर पूरी तरह बदल जाएगा. कर्मचारियों की '(Take Home Salary' घट जाएगी, क्योंकि Basic Pay बढ़ने से कर्मचारियों PF ज्यादा कटेगा यानी उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा. पीएफ के साथ साथ ग्रैच्युटी (Monthly Gratuity) में भी योगदान बढ़ जाएगा. यानी टेक होम सैलरी जरूर घटेगी लेकिन कर्मचारी को रिटायरमेंट पर ज्यादा रकम मिलेगी.
टेक होम सैलरी घटेगी, रिटायरमेंट सुधरेगा
मूल वेतन (Basic Pay) बढ़ने से कर्मचारियों (Employees) का पीएफ (PF) ज्यादा कटेगा, तो उनकी टेक-होम सैलरी (Take Home Salary) घट जाएगी. लेकिन, उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा. इससे उनकी सेवानिवृत्ति (Retirement) पर ज्यादा लाभ मिलेगा, क्योंकि भविष्य निधि (PF) और मासिक ग्रैच्युटी (Monthly Gratuity) में उनका योगदान बढ़ जाएगा.
कंपनियों के लिए होगी मुश्किल
आपको बता दें कि कर्मचारियों का सीटीसी (CTC) कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे बेसिक सैलरी, मकान का किराया (HRA), PF, ग्रेच्युटी, LTC और मनोरंजन भत्ता वगैरह. नया वेतन कोड नियम लागू होने पर कंपनियों को यह तय करना होगा कि बेसिक सैलरी को छोड़कर (CTC) में शामिल किए जाने वाले दूसरे फैक्टर 50 परसेंट से ज्यादा न होने पाएं. ये कंपनियों का सिरदर्द बढ़ा सकता है.
ऊंची सैलरी वालों की बढ़ेगी चिंता
टेक-होम सैलरी में कटौती का असर निम्न और मध्यम आय वालों के लिए बहुत कम होगी. लेकिन ऊंची आय वालों को बड़ा झटका लग सकता है. ऊंची कमाई वालों का पीएफ योगदान ज्यादा बढ़ जाएगा तो उनकी टेक होम सैलरी भी काफी हो जाएगी, क्योंकि जिन कर्मचारियों का वेतन ज्यादा होगा उनकी बेसिक सैलरी भी ज्यादा होगी इसलिए पीएफ योगदा भी ज्यादा कटेगा. ग्रेच्चुटी भी ऐसे कर्मचारियों की ज्यादा कटेगी. बेसिक सैलरी टैक्सेबल होती है, इसलिए सैलरी ज्यादा होने पर टैक्स भी ज्यादा कटेगा.