Byju Crisis: एडटेक कंपनी बायजू (Byju's) की मुश्‍क‍िलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब बायजू (Byju's) को क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई (BCCI) को 158.9 करोड़ रुपये का पेमेंट करने में फेल होने पर दिवाला कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा. बायजू एक समय देश की सबसे बड़ा स्टार्टअप था, जिसकी अनुमानित कीमत 22 अरब अमेरिकी यूएस डॉलर थी. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की बेंगलुरु पीठ ने मंगलवार को फर्म के खिलाफ दिवाला कार्यवाही की अनुमति दी और एक अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया. एनसीएलटी (NCLT) ने साथ ही कंपनी के निदेशक मंडल को भी निलंबित कर द‍िया और इसकी संपत्ति को जब्त कर दिया.


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पंकज श्रीवास्तव को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया


कंपनी के फाउंडर और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बायजू रवींद्रन समाधान पेशेवर को रिपोर्ट करेंगे. एनसीएलटी ने पंकज श्रीवास्तव को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है. बायजू ने पहले भारतीय क्रिकेट टीम को स्‍पॉन्‍सर क‍िया था. बायजू ने कहा कि उसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के साथ सौहार्दपूर्ण समझौता होने की उम्मीद है. दूसरी तरफ सूत्रों ने कहा कि कंपनी अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी (NCLT) के समक्ष आदेश को चुनौती देने की योजना बना रही है.


कंपनी के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएंगे
बायजू के प्रवक्ता ने संपर्क करने पर बताया, ‘हमने हमेशा कहा है कि हम बीसीसीआई (BCCI) के साथ बातचीत के साथ समझौता करना चाहते हैं. हमें पूरा व‍िश्‍वास है क‍ि इस आदेश के बावजूद समझौता हो सकता है. इस बीच, हमारे वकील आदेश की समीक्षा कर रहे हैं और कंपनी के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएंगे.' आपको बता दें बायजू की दो साल पहले परेशानी उस समय शुरू हुई थी जब वो कंपनी अपनी फाइनेंश‍ियल रिपोर्ट जमा करने की टाइम ल‍िम‍िट से चूक गई थी. इसके अलावा कंपनी की कमाई का अनुमान 50% से ज्यादा कम रहा था.


फरवरी में BYJU'S की पैरेंट कंपनी Think & Lean (T&L) के कुछ इन्वेस्टर्स, जिनमें Prosus और Peak XV शामिल हैं ने एक ईजीएम (EGM) में रवींद्रन को CEO पद से हटाने के लिए वोट‍िंग की. इन इन्वेस्टर्स ने रवींद्रन पर 'म‍िसमैनेजमेंट और फेल्‍योर' के आरोप लगाए थे. रवींद्रन ने इन आरोपों को गलत बताया और वोटिंग की वैधता को भी चुनौती दी है. कंपनी के फाउंडर और इन्वेस्टर कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं. पिछले कुछ महीनों में कंपनी को घाटा हो रहा है और कर्मचारियों की छंटनी हो रही है. इसके बावजूद फाउंडर इन्वेस्टर्स के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.