नई दिल्ली: Corona Vaccination: सरकार ने अब 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए भी कोरोना वैक्सीनेशन के दरवाजे खोले हुए हैं, साथ ही 45 से 60 साल की उम्र के लोग भी कोरोना वैक्सीन ले सकते हैं. कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए सरकार ने को-मॉर्बिडिटी बीमारी की एक लिस्ट जारी की है. अगर इनमें से कोई भी बीमारी व्यक्ति को है तो वो सर्टिफिकेट बनवाकर कोरोना वैक्सीन लगवा सकता है.


गलत सर्टिफिकेट से वैक्सीन डोज मत लेना 


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कई मामले ऐसे भी देखने में आ रहे हैं कि लोग गलत सर्टिफिकेट बनवाकर कोरोना वैक्सीन ले रहे हैं, जिसमें वो उन बीमारियों से खुद को बीमार बता रहे हैं जो उनको है ही नहीं. ये काम अगर आप भी कर रहे हैं तो तुरंत संभल जाइए. इसका अंजाम काफी भारी पड़ सकता है. 


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बीमा कंपनी क्लेम कर सकती है रिजेक्ट


अगर आप गलत सर्टिफिकेट दिखाकर वैक्सीन की डोज ले रहे हैं तो आगे चलकर आपकी बीमा कंपनी इस पर ऐतराज जता सकती है. वो आपको इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट कर सकती है या फिर प्रीमियम को बढ़ा भी सकती है. क्योंकि आपने जब पॉलिसी ली होगी तब आपने बताया होगा कि आपको वो बीमारियां नहीं हैं जो को-मॉर्बिडिटी में अब आपने बताई हैं.


प्रीमियम बढ़ा सकती है बीमा कंपनी 


इंश्योरेंस कंपनी इसे प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी मानकर तुरंत आपका प्रीमियम बढ़ा सकती है, तब आपकी जेब पर अतिरिक्त प्रीमियम का बोझ पड़ सकता है. National Digital Health Mission (NDHM) के जरिए इंश्योरेंस कंपनी के लिए मरीज से जुड़ी जानकारी जुटाना कोई बड़ी बात नहीं है. मतलब आप कोरोना वैक्सीन के लिए गलत सर्टिफिकेट बनवाकर बच नहीं सकते. इंश्योरेंस कंपनियां KYC डाटा के जरिए भी आपकी बीमारी या सेहत के बारे में जानकारी ले सकती हैं.


क्या है को-मोर्बिडिटी लिस्ट


ये सरकार की ओर से जारी की गई 20 बीमारियों की लिस्ट है. अगर किसी को कोरोना वैक्सीन चाहिए तो उसे इन बीमारियों में से कम से कम कोई बीमारी होना चाहिए, उसकी उम्र 45 से 60 साल के बीच होनी चाहिए, तभी उसे कोरोना की वैक्सीन लग सकती है. आपको बीमारी है या नहीं इसका एक सर्टिफिकेट भी अपलोड करना होता है.


आपको बता दें कि कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरा चरण 1 मार्च से शुरू हो गया है. इस चरण के तहत 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को टीका लगाया जाना है. वहीं, गंभीर बीमारियों का शिकार हुए 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है.


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