अमेरिका भले ही दोस्ती के कसीदे पढ़े, लेकिन, किम जोंग कभी कुछ नहीं भूलता..!
दुनिया की नजरें अमेरिका और उत्तर कोरिया पर टिकी हैं. सबको इंतजार है उस ऐतिहासिक दिन का, जब दुनिया के दो बड़े दुश्मन दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए सिंगापुर में कदम रखेंगे.
दुनिया की नजरें अमेरिका और उत्तर कोरिया पर टिकी हैं. सबको इंतजार है उस ऐतिहासिक दिन का, जब दुनिया के दो बड़े दुश्मन दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए सिंगापुर में कदम रखेंगे. एक तरफ होगा उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा 'तानाशाह' किम जोंग-उन और दूसरी तरफ सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. इस मुलाकात से पहले ही अमेरिका ने उत्तर कोरिया के सामने शर्त रख दी है. हालांकि, उत्तर कोरिया ने वो शर्त मानी है या नहीं ये किम जोंग के अलावा कोई नहीं जानता. दोस्ती का हाथ बढ़ाने वाले डोनाल्ड ट्रंप भले ही दोस्ती के कसीदे पढ़ रहे हों. लेकिन, क्या किम कुछ भूल गया? जी नहीं, किम कभी कुछ नहीं भूलता और ये बात अमेरिका को नहीं भूलनी चाहिए.
क्या है उत्तर कोरिया का दावा?
उत्तर कोरिया ने कहा है कि वह विदेशी पत्रकारों के सामने अपने न्यूक्लियर टेस्ट साइट्स को नष्ट करना शुरू कर देगा. उत्तर कोरिया का दावा है कि विदेशी पत्रकारों को बुलाने का मकसद उसके इस तरीके को दिखाने का है. कोरिया का दावा है कि वो अपनी सुरंगे बंद करेगा. इसे खत्म करने के लिए 'तकनीकी कदम' 23 मई से 25 मई के बीच अपनाए जाएंगे. लेकिन, क्या सचमुच ऐसा होगा? कोरिया अपना वादा पूरा करेगा? क्या वो अमेरिका के आगे झुक गया है? जी नहीं, इसलिए डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि 12 जून को होने वाली बैठक टल सकती है. क्योंकि, उत्तर कोरिया परमाणु हथियार को पूरी तरह नष्ट करने को तैयार नहीं है.
जिस चीज से खौफ खाता है अमेरिका, उसी पर खड़ा मुस्कुराता है किम जोंग-उन
कैसे भूल गया किम?
परमाणु हथियारों को विदेशी मीडिया के सामने नष्ट करने का दावा कितना सच है ये तो बाद में ही पता चलेगा. लेकिन, उससे पहले ये जानना जरूरी है कि अमेरिका की दोस्ती में कितनी गहराई है. क्योंकि, अमेरिका ही वह देश है, जिसने किम जोंग-उन की हत्या कराने की साजिश रची थी. दरअसल, उत्तर कोरिया की सरकारी एजेंसी ने कुछ समय पहले इलजाम लगाया था कि सीआईए ने दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर किम जोंग उन को मारने की कोशिश की थी. हालांकि, ये कोशिश नाकाम हो गई, लेकिन कातिल किम जोंग उन के बेहद करीब तक जा पहुंचे थे.
कितनी भरोसेमंद किम की दोस्ती?
किम जोंग-उन के लिए कहा जाता है कि वह अपनी हर छोटी बात एक छोटी किताब पर नोट करवाता है. उसके खेमे में क्योंकि, वह किसी पर जल्दी से भरोसा नहीं करता है. इसलिए वह सतर्क रहता है. ऐसे में हर बात को याद रखने वाला किम क्यों अमेरिका की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है.
'उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों को कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं करेगा'
उत्तर कोरिया के झुकने का सच क्या?
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने परमाणु और मिसाइल परीक्षणों को बंद करने की घोषणा की है. इस घोषणा का अखबारों की सुर्खियां बनना और उनमें इस कदम की प्रशंसा करते हुए परमाणु परीक्षणों के अंत की बात किया जाना स्वाभाविक था. लेकिन, इस मुल्क का ऐतिहासिक रिकॉर्ड और परमाणु-मिसाइल कार्यक्रम की परिस्थिति पर नजर डालें तो लगता है कि हमें अपेक्षाओं में बदलाव करना चाहिए.
क्या समस्या का हल निकलेगा?
समारोह के बाद सैटेलाइट तस्वीरों का सरकारें इस्तेमाल करेगी और स्वतंत्र विशेषज्ञ इसकी निगरानी करेंगे. नई बिल्डिंग और उपकरण ये इशारा करते हैं कि उत्तर कोरिया परीक्षण की योजना इसे दोबारा शुरू करने की है. लेकिन, अगर ऐसा होता है तो अंडरग्राउंड परीक्षणों को छिपाना मुश्किल होगा क्योंकि, इससे भूकंप जैसे हालात उत्पन्न होते हैं. पंग्गी-री को खत्म करने की उत्तर कोरिया की सोच यह दर्शाती है कि उन्हें यह लगता है कि उनके परमाणु कार्यक्रम का उचित विकास हो चुका है और पूर्ण परीक्षण की अब कोई जरूरत नहीं है. इस जगह को बंद करने का फैसला पूरी तरह परमाणु हथियारों को खत्म करने की दिशा में पहला कदम ही माना जाएगा क्योंकि यहां के परमाणु कार्यक्रम जरूरत के हिसाब से विकसित किए जा चुके हैं.