Delhi Rapid Rail New Update: ज्यादातर लोगों को लग रहा है कि रैपिड रेल दिल्ली मेट्रो की तरह ही होगी, लेकिन ऐसा नहीं है. रैपिड रेल मेट्रो से बिल्कुल अलग है. इसमें कई लग्जरी सुविधाएं दी गई हैं जो दिल्ली मेट्रो में मौजूद नहीं हैं. हालांकि, इसे दिल्ली मेट्रो के रूट से ही जोड़ा जाएगा. मेट्रो के पहले डिब्बे में जिस तरह महिलाओं के लिए सीट रिजर्व होती है, उसी तरह रैपिड रेल में भी महिलाओं के लिए पहला डिब्बा रिजर्व रहेगा.


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रैपिड रेल और मेट्रो में अंतर


रैपिड रेल और मेट्रो स्पीड में कई बड़े अंतर हैं. आपको बता दें कि दिल्ली मेट्रो के औसत स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. वहीं, रैपिड रेल की औसत स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर 160 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच होगी. रैपिड रेल में यात्रा करने के लिए आरआरटीएस (RRTS) क्यूआर कोड बेस्ड और पेपर टिकट की सुविधा देगा. रैपिड रेल सामने से बुलेट ट्रेन की तरह नजर आती है और किनारों से यह मेट्रो की तरह दिखती है. रैपिड रेल में बैठने के लिए कुर्सियां मेट्रो की अपेक्षा काफी ज्यादा होंगी जो 2 कतारों में लगी होंगी. इसके अलावा रैपिड रेल के स्टेशन भी काफी दूर-दूर होंगे जबकि मेट्रो में स्टेशन पास-पास होते हैं. रैपिड रेल के अंदर आपको मुफ्त वाईफाई, चार्जिंग फैसेलिटीज और इंफोटेनमेंट की भी सुविधा मिलेगी.


क्या होंगे फायदे?


गंतव्य तक पहुंचने पर आपको रैपिड रेल में दरवाजे खोलने के लिए पुश बटन की सुविधा दी जाएगी. यहां पर हर दरवाजा स्टेशन पर नहीं खुलेगा. रैपिड रेल के हर कोच में महिलाओं के लिए 10 सीटें रिजर्व होंगी. वहीं, गाड़ी का पहला डिब्बा महिलाओं के लिए पूरी तरह से रिजर्व रहेगा. रैपिड रेल का संचालन शुरू होने से सड़कों पर होने वाले जाम से आराम मिलेगा और सस्ते दामों पर यात्रा सुनिश्चित की जा सकेगी. रैपिड रेल से कम से कम समय में जल्दी मेरठ पहुंच सकते हैं और सड़कों पर वाहन कम होने से वायु प्रदूषण में कमी आएगी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसमें रोजाना करीब 80 हजार यात्री सफर कर सकते हैं.