बीजिंग : चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत के साथ वुहान की तरह की एक और शिखर बैठक की तैयारी में है. यह बात ऐसे समय की जा रही है जब चर्चा है कि भारत चीन की 'एक-क्षेत्र, एक-मार्ग' पहल पर अगले सप्ताह यहां आयोजित की जाने वाली बैठक में न आने का निर्णय कर चुका है. भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के विकास की 60 अरब डॉलर की परियोजना से अपने संप्रभु अधिकारों को नुकसान होने की चिंताओं को लेकर क्षेत्र-मार्ग-मंच (बीआरएफ) की 2017 में हुई पहली बैठक से भी अपने को दूर रखा था. सीपीईसी की योजना पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से जाती है.


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5,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने आने की पुष्टि की
दूसरी बैठक यहां 25 से 27 अप्रैल तक चलेगी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग यी ने बताया कि इस सम्मेलन में 150 देशों और 90 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 5,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने आने की पुष्टि कर दी है. इनमें 37 देशों राष्ट्राध्यक्ष या शासन प्रमुख शामिल हैं. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने प्रधानमंत्री मोदी को पिछले वर्ष अपने यहां अघोषित एजेंडा की बातचीत के लिए आमंत्रित किया था. दोनों नेताओं ने पर्यटनस्थल वुहान में एक अनौपचारिक वातावरण में बिना सहयोगियों की मदद के मुक्त चर्चा की थी.


यहां भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स से पिछले महीने कहा था कि 'सबसे बढ़ के बात यह है कि, संपर्क मार्ग की किसी भी पहल को इस तरह से आगे बढ़ाया जाना चाहिए जिसमें देशों की संप्रभुता, समानता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान बना रहे. कोई भी देश ऐसी किसी पहल में शामिल नहीं हो सकता जो उसकी संप्रभुता और भौगोलिक अक्षुण्णता की उपेक्षा करती हो.'


सम्मेलन में भारत के न आने के निर्णय की चर्चाओं के बारे में यह पूछे जाने पर कि क्या इससे मोदी-शी के वुहान सम्मेलन के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आयी नयी गति की उपेक्षा नहीं होगी तो वांग ने कहा दोनों नेताओं की वुहान में बैठक बहुत सफल रही थी. उन्होंने कहा कि 'खास कर दोनों नेताओं ने नेतृत्व के स्तर पर परस्पर विश्वास स्थापित किया और भारत चीन संबंध को सुधारने तथा मजबूत बनाने की भविष्य की योजना का निर्धारण किया.'


प्रवक्ता ने कहा कि वुहान के बाद दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में प्रगति हुई है और दोनों के बीच संबंधों की संभावनाएं उज्जवल हैं. 'हम अब अपने नेताओं की अगली शिखर बैठक की योजना बना रहे हैं.' उन्होंने इस बैठक के समय आदि के बारे में कोई संकेत नहीं दिया. वांग ने कहा, 'चीन और भारत पड़ोसी होने के अलावा दो बड़े देश हैं. हमारे बीच मतभेद होना स्वाभाविक है. मुझे याद है , प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार कहा है कि हम अपने मतभेदों को विवाद तक नहीं बढ़ने दे सकते हैं.'


प्रवक्ता ने कहा, 'मैं इसे दोनों देशों के मौलिक हित में मानता हूं और चीन भी ऐसा ही चाहता है.' वांग ने कहा कि 'हमारा एक मतभेद इस विषय में है कि क्षेत्र-मार्ग पहल को किस दृष्टिकोण से देखा जाय. भारतीय पक्ष की अपनी चिंताएं हैं. हम उसे समझते हैं. इसी लिए हमने कई बार कहा है कि सीपीईसी एक आर्थिक पहल है और इसका लक्ष्य किसी तीसरे देश को नुकसान पहुंचाना नहीं है. और न ही इसका दोनों देशों (भारत-पाकिस्तान) के बीच संप्रभुता और सीमा संबंधी विवाद से कोई लेना देना है जो इतिहास के कारण चला आ रहा है.'