नई दिल्ली: हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) सरकार द्वारा अमेरिका में नौकरी कर रहे विदेशियों के लिए खतरा पैदा हो गया है. सरकार ने पहले ऐलान किया था कि H-1B वीजाधारकों को देश से जाना पड़ सकता है. लेकिन इस बीच एक राहत की खबर आई है. अब ट्रंप सरकार H-1B वीजाधारकों के जीवनसाथियों को भी अमेरिका में नौकरी करने के अधिकार के पक्ष में खड़ी हो गई है. 


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गृह मंत्रालय (डीएचएस) ने अमेरिकी जिला अदालत डिस्ट्रिक्ट वाशिंगटन में इस सप्ताह दलील दी कि एच-4 वीजाधारकों को काम करने की मंजूरी देने वाले 2015 के आदेश को चुनौती देने वाले अमेरिकी प्रौद्योगिकी पेशेवरों को इस तरह की मंजूरी से कोई हानि नहीं हुई है.


एच-4 वीजा अमेरिका की नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) द्वारा एच-1 वीजाधारकों के परिवार के करीबी सदस्यों (पति/पत्नी और 21 साल की उम्र तक के बच्चों) को दिया जाता है. ज्यादातर एच-1बी वीजा धारक भारतीय आईटी पेशेवर होते हैं. यह सामान्यत: उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने पहले ही रोजगार आधारित कानूनी स्थायी निवासी का दर्जा हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.


डीएचएस ने पांच मई को अपनी अर्जी में कहा कि ‘सेव जॉब्स यूएसए’ के अमेरिकी तकनीकी कर्मियों की ओर से दी गई दलील में उसके सदस्यों को संभावित रूप से पहुंचने वाले आर्थिक नुकसान का आकलन किया गया है.


‘सेव जॉब्स यूएसए’ ने 2015 में दायर मुकदमे में दलील दी थी कि ओबामा प्रशासन द्वारा बनाए नियम से उसके उन सदस्यों को नुकसान पहुंचेगा जो अमेरिकी प्रौद्योगिकी कर्मी हैं.


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