IDBI Bank privatisation: आईडीबीआई बैंक को निजी हाथों में देने का रास्ता अब लगभग साफ हो गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को बताया है कि IDBI बैंक में निवेश की मंशा जताने वाले बोलीदाताओं को गृह मंत्रालय से जरूरी सुरक्षा मंजूरी मिल गई है. ऐसे में जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से भी मंजूरी मिलने की उम्मीद है. 


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दरअसल, सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी के साथ मिलकर आईडीबीआई बैंक में करीब 61 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की तैयारी में है. इस दौरान केंद्र सरकार की 30.48 प्रतिशत और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की 30.24 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचा जाएगा. 


जनवरी 2023 में निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने कहा था कि उसे आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी की खरीद के लिए कई रुचि पत्र (ईओआई) मिले हैं. ईओआई के माध्यम से निवेश की मंशा जताने वाले बोलीदाताओं को दो तरह की मंजूरी लेनी होगी. उन्हें गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ‘उपयुक्त और उचित’ मानदंडों को पूरा करने की मंजूरी लेनी होगी. 


RBI कर रहा है जांच


आरबीआई करीब डेढ़ साल से अधिक समय से संभावित निवेशकों की तरफ से रखे गए विवरणों की जांच कर रहा है. इसकी वजह से आईडीबीआई बैंक का निजीकरण तय समय सीमा से आगे बढ़ गया है. सरकारी अधिकारी का कहना है कि संभावित बोलीदाताओं के लिए सुरक्षा मंजूरी पहले ही आ चुकी है. आरबीआई से भी जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है.


अधिकारी ने आगे कहा कि जरूरी मंजूरी मिलने के बाद निवेशकों को डेटा रूम तक पहुंच मिलेगी और पड़ताल की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. सरकार और एलआईसी के पास आईडीबीआई बैंक में संयुक्त रूप से कुल 94.72 प्रतिशत हिस्सेदारी है. लेकिन हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री के बाद यह घटकर 34 प्रतिशत रह जाएगी. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश एवं परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से 50,000 करोड़ रुपये जुटाने का बजटीय लक्ष्य रखा है.


कस्टमर्स का क्या होगा?


एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कस्टमर्स पर इसका कोई असर नहीं होगा. सभी कस्टमर्स को पहले की तरह ही सभी सुविधाएं मिलती रहेंगी. क्रेडिट कार्ड भी पहले की तरह यूज कर पाएंगे.