बाकू/नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत अपने यहां स्मार्ट सिटी, औद्योगिक गलियारों व रेलवे के विकास के साथ मेक-इन-इंडिया और स्किल इंडिया अभियान में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की गहरी भागीदारी चाहता है।


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वित्त मंत्री ने कहा कि 2015 और 2016 में भारत की वृद्धि दर 7.5 से 8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यह देश में वृद्धि की आकर्षक संभावनाओं की पुष्टि करती है। हमारी सरकार ने एक साल से भी कम समय में अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई कदम उठाए हैं।


जेटली ने अजरबैजान के बाकू शहर में एडीबी की 48वीं सालाना बैठक के पहले व्यापारिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, हमारा लक्ष्य भारतीय अर्थव्यवस्था को उंची व स्थिर वृद्धि की राह पर रखना है। इसके लिए हम बुनियादी ढांचा विकास, कौशल विकास, कारोबार में सुगमता और आर्थिक सुधारों के अलावा वृहद सामाजिक सुरक्षा दायरा व राजकोषीय अनुशासन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि एडीबी को 2020 तक 20 अरब डॉलर के सालाना कारोबार का लक्ष्य करना चाहिए। एडीबी को न केवल बड़ा बनने की जरूरत है, बल्कि उसे बहुपक्षीय विकास बैंकों में मॉडल भी बनना चाहिए।


जेटली ने कहा कि भारत एडीबी का सबसे बड़ा ग्राहक है। अब हमें इस भागीदारी को अगले स्तर पर ले जाने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने कहा, हम चाहते हैं कि एडीबी को परंपरागत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के अलावा स्मार्ट सिटी, औद्योगिक गलियारे, रेल परिवहन और विनिर्माण व रोजगार सृजन में मेक इन इंडिया व स्किल इंडिया जैसी पहलों के जरिये भारत के साथ अपनी भागीदारी बढ़ानी चाहिए।  


विश्व अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि एडीबी की बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति 2014 से कुछ बेहतर दिख रही है, हालांकि इसमें अधिक सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार परिवर्तन के बीच एशिया प्रशांत क्षेत्र इस समय विश्व अर्थव्यवस्था के लिए वृद्धि का इंजन दिख रहा है। एडीबी के परिदृश्य के अनुसार एशियाई अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2015 और 2016 में 6.3 प्रतिशत रहेगी।


वित्त मंत्री ने एशियाई विकास कोष (एडीएफ) संसाधनों के सामान्य पूंजीगत संसाधनों (ओसीआर) में विलय की योजना की सराहना करते हुए कहा कि इससे एशियाई क्षेत्र में वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। एडीएफ सस्ती दर के विकास रिण देने का कोष है जिसे सदस्य देश देते हैं। इसी तरह ओसीआर कृषि और प्राकृतिक संसाधनों के विकास तथा स्वास्थ्य, शिक्षा आदि विविध कार्यों के लिए दिया जाता है और यह एडीबी को दीगयी पूंजी, आरक्षित कोष, ब्याज आय तथा बाजार में जारी बांड आदि के धन से मिला कर बनता है।


अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने नेपाल में हाल में आए विनाशकारी भूकंप का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, नेपाल हमारा करीबी मित्र व पड़ोसी है। हम इस आपदा से निपटने में उसके साथ खड़े हैं। जेटली ने यह भी कहा कि एडीबी को 2020 की रणनीति से आगे देखना चाहिए। यह रणनीति 2008 में बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि रणनीति 2020 को 2008 में बनाया गया था। यह आज भी तर्कसंगत है। लेकिन नए अवसरों व चुनौतियों के मद्देनजर हमें 2020 के बाद की रणनीति पर भी विचार करना चाहिए।


जेटली ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण सिर्फ ऐसा नहीं रहना चाहिए कि हम मौजूदा संसाधनों के साथ क्या कर सकते हैं, बल्कि हमें क्या करने की जरूरत है, यह सोचना चाहिए। हमें वह सभी कुछ करना चाहिए जिससे हम सदस्य देशों को गरीबी व असमानता से लड़ने में मदद कर सकें। क्षेत्रीय सहयोग की बात करते हुए जेटली ने कहा कि आज चूंकि दुनिया अधिक समतल होती जा रही है, ऐसे में वृद्धि की रणनीति में क्षेत्रीय सहयोग का सबसे बड़ा महत्व है।


उन्होंने कहा, हम ओसीआर के तहत क्षेत्रीय सहयोग के लिए 50 करोड़ डालर अलग रखने के कदम का स्वागत करते हैं। यह हमारी लंबे समय से मांग थी। वर्ष 2014 में एडीबी का कुल रिण और अनुदान परिचालन 13.5 अरब डालर का रहा, जो इससे पिछले साल से कुछ कम है। परियोजना सह वित्तपोषण करीब 9 अरब डालर रहा।