Indian Railways Booking:  भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है. अगर आप भारत के विहंगम दृश्यों का लुत्फ लेना चाहते हैं तो भारतीय रेलवे सबसे किफायती साधनों में से एक है. 16 अप्रैल 1853 को भारत में पहली यात्री ट्रेन बोरी बंदर (बंबई) से ठाणे के बीच चली थी. इस ट्रेन ने 34 किलोमीटर का सफर तय किया था. यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के अलावा रेलवे ने बाजारों को जोड़ने और व्यापार बढ़ाने में भी अहम रोल निभाया है.


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हालांकि हर रोज लाखों लोग रेलवे में सफर करते हैं. लेकिन कुछ चीजें आंखों से सामने होते हुए भी हम देख नहीं पाते या समझने की कोशिश नहीं करते. शायद आपने गौर न किया हो लेकिन रेलवे के विभिन्न कोच (डिब्बों) पर अलग-अलग तरह के रंगों की पट्टियां/धारियां (Color Strips) होती हैं.  आइए आपको बताते हैं कि इनका मतलब क्या होता है. 


भारतीय रेलवे यात्रियों के सफर को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाती है. इसे देखते हुए रेलवे के डिब्बों पर विभिन्न रंगों की पट्टियां पेंट की जाती हैं, ताकि यात्री इनको आसानी से पहचान सकें. लेकिन कई लोग नहीं जानते कि ट्रेन के डिब्बों पर लाल और पीली पट्टी का असली मतलब क्या होता है.


लाल और नीले डिब्बों पर पीली पट्टी


ट्रेन के नीले और लाल डिब्बों पर चौड़ी पीली पट्टियां पेंट की जाती हैं. इससे यह मालूम चलता है कि कोच दिव्यांग यात्रियों के लिए तैयार किए गए हैं. यह उन यात्रियों के लिए भी है जो बीमार और अस्वस्थ महसूस करते हैं.


नीले डिब्बों पर सफेद पट्टी?


किसी खास ट्रेन के नॉन-रिजर्व्ड सेकंड क्लास के डिब्बों को दिखाने के लिए नीले रंग के रेलवे कोचों पर सफेद पट्टियां पेंट की जाती हैं. इन पट्टियों की मदद से यात्री जनरल डिब्बों की पहचान आसानी से कर सकते हैं.


ग्रे रंग के डिब्बों पर हरी पट्टियां


अगर किसी ट्रेन के ग्रे कलर के डिब्बे पर हरी पट्टियां हैं तो इसका मतलब वह महिलाओं के लिए आरक्षित है.


ग्रो कोच पर लाल रंग की पट्टियां


ग्रे कोचों पर लाल धारियां बताती हैं कि ये ईएमयू/एमईमू ट्रेनों में फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट के डिब्बे हैं.


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