Indian Railways: रेल यात्रियों के लिए काम की खबर है. रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक आने वाले कुछ वर्षों में रेलवे में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. वंदे भारत ट्रेनों की तरह ट्रेन सेट देश के अलग अलग महानगरों को जोड़ेंगे. ट्रेनसेट कहीं जाने वाली नए जमाने की ट्रेन में इंजन नहीं होता है बल्कि वंदे भारत ट्रेन की तरह सब कुछ कोच के अगले हिस्से में होता है रेलवे का इरादा अगले 25 साल में चरणबद्ध तरीके से सभी रूटों पर यह ट्रेन सेट चलाने का है जैसे-जैसे यह नई ट्रेन तैयार होती जाएंगी पुरानी ट्रेनों को हटाया जाता रहेगा. रेल मंत्रालय के दावे को मानें तो साल 2047 तक देश के सभी रुतो पर आधुनिक सेमी हाई स्पीड की रफ्तार से यानी लगभग 200 से ढाई सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन देशभर में चलने लगेंगी.


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रेलवे कर रहा है बड़ा बदलाव


रेल मंत्रालय के मुताबिक 200 से ज्यादा स्पीड पर ट्रेनों को चलाने के लिए रेलवे ट्रैक और सिगनलिंग में पूरी तरह से बदलाव किया जाना है जिस पर रेल मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है. रोलिंग स्टॉक को भी पूरी तरह से बदला जाना है यही नहीं रेल सफर को तेज आरामदेह और सुरक्षित बनाने के लिए रेल मार्गों की फेंसिंग भी की जाएगी जिस पर रेलवे काम कर रहा है. देश में दो वंदे भारत ट्रेन हैं जो सेमी हाई स्पीड की रफ्तार से चल रही हैं और तीसरे वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल शुरू हो गया है अगले साल 15 अगस्त 2023 तक 75 बंदे भारत ट्रेन में देशभर में दौड़ने लगेगी ऐसी नहीं इसके बाद रेलवे का अगला टारगेट 400 वंदे भारत ट्रेन चलाने का है जो देश के विभिन्न महानगरों को आपस में जोड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से रेल मंत्रालय को 400 ट्रेनें चलाने का टारगेट पहले ही दिया जा चुका है.


आएगा वंदे भारत का सेट 


रेलवे के मुताबिक आईसीएफ कोच और एलएचबी कोच अब बदले जमाने की तकनीकी हो चुकी है यही वजह है कि वंदे भारत ट्रेन सेट को लाया गया है जो कि अत्याधुनिक तकनीकी से लैस है और 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से भी दौडाई जा सकती है। रेलवे के मुताबिक अभी जो 2 बंदे भारत ट्रेन में चल रही हैं वह 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं आने वाले दिनों में जो नई वंदे भारत ट्रेन आ रही है उनकी रफ्तार 180 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और इसी तरह धीरे धीरे नई मॉडर्न ट्रेनों की रफ्तार रेलवे बढ़ाएग जोकि चरणबद्ध तरीके से 200 किलोमीटर प्रति घंटा 220 किलोमीटर प्रति घंटा 240 किलोमीटर प्रति घंटा और 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक अगले कुछ वर्षों में दौड़ने लगेगी. इसमें एक बड़ा बदलाव इसलिए आएगा क्योंकि अमूमन अभी जो  सुपर फास्ट ट्रेन चलती हैं उनकी रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 150 किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है लिहाजा जब ट्रेनों की रफ्तार तेजी से बढ़ेगी तो यात्री अपने गंतव्य तक भी जल्दी पहुंचेंगे और उनके यात्रा समय में बचत होगी.


इन रूट्स पर हो रही तैयारी


सबसे पहली रेलवे दिल्ली से महानगरों की तरफ जो कनेक्टिविटी है खासतौर से दिल्ली मुंबई दिल्ली कोलकाता के रूट पर सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने जा रहा है इन रूट पर ट्रैक बदलने का काम भी  युद्ध स्तर पर किया जा रहा है इसके लिए 18000 करोड रुपए की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है देशभर में रेलवे इन्फ्राट्रक्चर में पूरी तरह से बदलाव लाने के लिए भारी बजट की जरूरत होगी जिसके लिए रेलवे इंतजाम कर रहा है


कैसे बदला जा रहा है सिगनलिंग सिस्टम?


रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक सेमी हाई स्पीड ट्रेनों को चलाने के लिए पुराने सिगनलिंग को पूरी तरह बदलने की जरूरत है लिहाजा अब रेलवे कैब सिगनलिंग सिस्टम को लगाया जा रहा है इस मॉडल तकनीकी में ट्रेन को चला रहे ड्राइवर को ट्रैक किनारे लगे सिग्नल को देखने की जरूरत नहीं होती है बल्कि इंजन के काम में लगे स्क्रीन पर रेल मार्ग का सिग्नल सिस्टम दिख जाता है जिसे देखकर ड्राइवर ट्रेन चलाते हैं रेलवे ने सेफ्टी के लिए जो नई तकनीकी कवच इजाद की है उसमें कैब सिगनलिंग की सुविधा है.


क्या है कवच तकनीकी?


रेलवे में ट्रेनों को आपस में टक्कर से बचाने के लिए नई कवच तकनीकी लगाई जा रही है जिसके तहत 2 ट्रेनें आमने सामने से यदि फुल स्पीड से भी आ रही हैं तो टकराने से पहले ही वह ऑटोमेटिक तरीके से रुक जाती हैं इसका ट्रायल रेल मंत्री अश्वन वैष्णव ट्रेन में सवार होकर कर चुके हैं दिल्ली मुंबई और दिल्ली कोलकाता रूट पर कवच तकनीकी को लगाया जा रहा है और इसके लिए रेल मंत्रालय ने 10000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है.


इलेक्ट्रिफिकेशन में बदलाव और उच्च क्षमता की लाइन 


सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने के लिए रेलवे के पुराने हो चुके इलेक्ट्रिफिकेशन में भी बदलाव की जरूरत है क्योंकि वंदे भारत जैसी सेमी हाई स्पीड ट्रेन ज्यादा बिजली खींचती हैं रेल मंत्रालय के मुताबिक पुरानी लाइनों में बार-बार लाइन ट्रिपिंग की समस्या आती है लिहाज़ा इसमें भी बदलाव किया जा रहा है. रेल मंत्रालय के मुताबिक पहले चरण में दिल्ली मुगलसराय के 1650 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर उच्च क्षमता की विद्युत लाइनों को लगाया जा रहा है और इसके बाद अगले चरण में देश के अलग-अलग हिस्सों में उच्च क्षमता वाली लाइनों को लगाया जाएगा.