सिंगल माल्ट व्हिस्की की 60 देशों में बंपर डिमांड, अब सेपरेट स्टैंडर्ड सेट करने की तैयारी में कंपनी, क्या होगा असर?
Single Malt Whisky: सिंगल माल्ट व्हिस्की को अब 60 देशों में निर्यात किया जाता है. भारतीय डिस्टिलर अपनी सिंगल माल्ट व्हिस्की के लिए GI टैग का दर्जा पाने के लिए भी कदम उठा रहे हैं
FSSAI: देश में शराब बनाने वाली कंपनियां भारत में बनी सिंगल माल्ट व्हिस्की के अलग मानक के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से संपर्क करने पर विचार कर रही हैं. गौरतलब है कि भारत में बनी सिंगल माल्ट व्हिस्की की मांग तेजी से बढ़ रही है और इसे कई प्रतिष्ठित इंटरनेशल अवार्ड मिल चुके हैं.
घरेलू शराब निर्माताओं के निकाय भारतीय अल्कोहलिक पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) ने कहा कि भारतीय उत्पादक इस कदम पर चर्चा कर रहे हैं. इससे भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की की शुद्धता और साख को बनाए रखने में मदद मिलेगी.
60 देशों में किया जा रहा निर्यात
इसे अब 60 देशों में निर्यात किया जाता है. भारतीय डिस्टिलर अपनी सिंगल माल्ट व्हिस्की के लिए भौगोलिक संकेतक का दर्जा पाने के लिए भी कदम उठा रहे हैं, जिससे ब्रांड की विश्वसनीयता और मानक बढ़ेंगे.
भारत में बनी सिंगल माल्ट व्हिस्की की बिक्री घरेलू बाजार में दो अंक में बढ़ रही है. हालांकि, उद्योग को छोटे सिंगल माल्ट व्हिस्की ब्रांड के उभरने के चलते चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. सीआईएबीसी के महानिदेशक अनंत एस अय्यर ने कहा कि एफएसएसएआई की परिभाषा यह है कि यह माल्ट आधारित होना चाहिए, लेकिन यह सिंगल माल्ट को परिभाषित नहीं करता है.
CIABC ने की ये मांग
अनंत एस अय्यर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि सिंगल माल्ट व्हिस्की का मतलब है कि यह एक ही डिस्टिलरी से आनी चाहिए, न कि कई डिस्टिलरी से. अय्यर ने कहा कि जो उचित मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, उन्हें खुद को भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की होने का दावा करने से रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई को भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की पर एक अलग मानक शामिल करने के लिए अपने नियमों में संशोधन करना चाहिए.