Health insurance GST: पश्चिम बंगाल के बाद अब कर्नाटक सरकार ने भी लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर से GST हटाने की मांग की है. कर्नाटक सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि वह जीएसटी परिषद को स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत कर समाप्त करने की सलाह दें. 


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राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा है कि स्वस्थ भारत सुनिश्चित करना प्रत्येक निर्वाचित प्रतिनिधि का कर्तव्य है. स्वास्थ्य बीमा पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाना इसके विपरीत है. हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी की वजह से आम आदमी के लिए स्वास्थ्य सेवा कम सुलभ होती है.


नागरिकों की भलाई को प्राथमिकता देना जरूरी 


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, "मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से तत्काल कार्रवाई करने की अपील की है कि वे जीएसटी परिषद को स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने की सलाह दें. अब समय आ गया है कि हम अपने नागरिकों की भलाई को प्राथमिकता दें."


कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने आगे कहा कि स्वास्थ्य बीमा पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) 18 प्रतिशत के उच्चतम कर स्लैब में है और नेताओं व नीति निर्माताओं सहित सभी संबंधित लोगों के विरोध के बावजूद 2017 से यह ऐसा ही है. 


प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मंत्री ने कहा, “एक आवश्यक सेवा/आवश्यकता पर इतना अधिक जीएसटी लगाना, विशेष रूप से कोविड महामारी के बाद की दुनिया में उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि जीएसटी की उच्च दर का सीधा असर प्रीमियम की लागत पर पड़ता है. इसका मतलब है कि स्वास्थ्य बीमा अब और महंगा हो गया है. 


कहां फंसा है पेंच?


जीएसटी परिषद की अगली बैठक नौ सितंबर को होने वाली है. माना जा रहा है कि इस बैठक में हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पर GST को लेकर फैसला हो सकता है. सूत्रों की मानें तो फिटमेंट कमिटी प्रीमियम पर पूरी तरह जीएसटी छूट देने के पक्ष में नहीं है. हालांकि, कमिटी की ओर से काउंसिल को कुछ सुझाव दिए गए हैं और अंतिम फैसला काउंसिल पर ही छोड़ दिया है.


(इनपुटः भाषा)