विदेशियों पर चढ़ने लगा 'देसी शराब' का नशा, जल्द 1 अरब डॉलर के पार होगा निर्यात, कंपनियों ने बनाया बड़ा प्लान
Advertisement
trendingNow12435944

विदेशियों पर चढ़ने लगा 'देसी शराब' का नशा, जल्द 1 अरब डॉलर के पार होगा निर्यात, कंपनियों ने बनाया बड़ा प्लान

भारत के अल्कोहल बेवरेज एक्सपोर्ट में तेजी से बढ़ रहा है. भारत से अल्कोहल बेवरेज का निर्यात बढ़ा है. भारत में तैयार होने वाली देशी शराब का विदेशों में मांग बढ़ रहा है.

liquor

Indian Liquor Export: भारत के अल्कोहल बेवरेज एक्सपोर्ट में तेजी से बढ़ रहा है. भारत से अल्कोहल बेवरेज का निर्यात बढ़ा है. भारत में तैयार होने वाली देशी शराब का विदेशों में मांग बढ़ रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत से शराब का निर्यात बढ़ा है और आने वाले दिनों में भारतीय शराबों का एक्सपोर्ट 1 अरब डॉलर के पार पहुंच सकता है. इसे लेकर कंपनियों ने प्लान तैयार कर लिया है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ सालों में ये एक्सपोर्ट 1 अरब डॉलर को पार कर जाएगा. 

भारतीय शराब कंपनियों का बढ़ रहा निर्यात  

शराब कंपनियों के संगठन ‘इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज’के मुताबिक आने वाले कुछ सालों में भारतीय शराब निर्यात एक अरब डॉलर के पार पहुंच सकता है.  इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने बुधवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के समर्थन से देश को आने वाले वर्षों में मादक पेय पदार्थों का निर्यात एक अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी. सीआईएबीसी के महानिदेशक अनंत एस. अय्यर ने कहा कि इस क्षेत्र में कारोबार को आसान बनाना केन्द्र और राज्य सरकार दोनों स्तर पर आवश्यक है.

बोतल बंद करने की प्रक्रिया (बोटिलंग) और ब्रान्डिंग के लिए आसान व समय पर अनुमति, परिवहन मंजूरी और ऑनलाइन कागजी कार्रवाई को बढ़ावा देना कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर इस क्षेत्र के विकास के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है. अय्यर ने कहा, कि हमें निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आसान कर ढांचे और बाजार-निर्धारित कीमतों के अलावा व्यापार करने में सुगमता लाने की आवश्यकता है.

वर्तमान में इस क्षेत्र के लिए नियम हर राज्य में अलग-अलग हैं. उन्होंने कहा कि एक अरब डॉलर का लक्ष्य  महत्वाकांक्षी है, लेकिन यह संभव है. अय्यर ने कहा कि 2023-24 में निर्यात 38.9 डॉलर रहा था. उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को इस लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इसके लिए सालाना आधार पर 14-15 प्रतिशत की वृद्धि की जरूरत है. 

अय्यर ने निर्यात के लिए राज्यों द्वारा विशिष्ट नीतियां बनाने, पैकिंग के आकार में लचीलापन लाने, न्यूनतम श्रम पंजीकरण शुल्क, प्रदर्शनियों व मेलों में हिस्सा लेने तथा आयोजन के लिए प्रोत्साहन और कच्चे माल पर लगाए गए शुल्क की प्रतिपूर्ति का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि ब्रांडिंग के लिए विदेश स्थित भारतीय मिशन, भारतीय विमानन संचालकों और देश के हवाई अड्डों पर शुल्क मुक्त दुकानें घरेलू ब्रान्ड को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं.  

Trending news