नई दिल्ली : मणिपुर में आर्थिक संकट के हालात हैं. रिजर्व बैंक ने राज्य सरकार की ओर से पैसों की निकासी पर रोक लगा दी है. 12 जून से लागू ये रोक कब हटेगी इस पर रिजर्व बैंक की ओर से कोई मियाद नहीं दी गई है. दरअसल राज्य सरकार और रिजर्व बैंक के बीच आपसी सहमति से तय कई गई निकासी की सीमा पार हो चुकी थी. इसलिए रिजर्व बैंक ने निकासी पर रोक लगाई है. इस बारे में रिजर्व बैंक के स्थानीय ऑफिस की ओर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को निर्देश दिया गया है. कहा गया है कि बैंक राज्य सरकार को रिज़र्व बैंक की ओर से कोई पैसा रिलीज़ नहीं किया जाए. साथ ही राज्य सरकार की ओर से आने वाले किसी भी चेक या बिल के बदले में पेमेंट नहीं किया जाए. खबरों के मुताबिक एक तिमाही में 36 दिन से ज्यादा समय तक राज्य सरकार ने अधिक निकासी की.


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क्या है आगे की राह?
रिजर्व बैंक के सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार जब तक अपनी वित्तीय हालत नहीं सुधारती रोक जारी रह सकती है. दूसरा रास्ता ये हो सकता है कि राज्य सरकार को केंद्र से कोई ग्रांट मिले और स्थिति सुधरे उसके बाद रकम निकासी की रोक हटे. या फिर राज्य सरकार किसी भी तरह के टैक्स लगाकर या फिर संपत्तियों का विनिवेश कर अपने वित्तीय घाटे की स्थिति को सुधारे. उसके बाद ही मुमकिन है कि रिज़र्व बैंक ये रोक हटाए.


मुश्किलों का सहारा RBI
हर राज्य सरकार के साथ रिज़र्व बैंक टेंपरोरी लोन निकासी के रकम की एक सीमा तय करता है. तकनीकी भाषा में इसे Ways and Means Advances WMA कहा जाता है. ये दो तरह का होता है. एक होता है स्पेशल WMA और दूसरा नॉर्मल WMA. स्पेशल WMA सरकारी बॉन्ड गिरवी रखने के बदले दिया जाता है. जबकि नॉर्मल WMA राज्य सरकार के तीन साल के औसत खर्च और औसत आमदनी के आधार पर तय किया जाता है. केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच भी ऐसा ही रिश्ता होता है. इस सुविधा के लिए हालांकि हर राज्य सरकार को रिज़र्व बैंक के पास एक तय रकम रखनी होती है. ये उन स्थितियों में इस्तेमाल किया जाता है. जहां राज्य सरकार के खर्चों और आमदनी के बीच में अंतर होता है. और उसकी भरपाई की जानी होती है.


रोक अभी लगने की वजह?
आमतौर पर सीमा से अधिक निकासी पर अलर्ट राज्यों को भेजा जाता है. या फिर टेंपरोरी रोक लगाई जाती है. लेकिन चुनावी सरगर्मियों को देखते हुए रिजर्व बैंक ने रोक नहीं लगाया. क्योंकि चुनावों के बीच ऐसा करने पर चुनाव की मशीनरी का खर्चा कठिन हो सकता था.


ऐसा पहली बार नहीं
रिजर्व बैंक की ओर से ऐसा पहली बार नहीं किया गया है. बल्कि दूसरे राज्यों के साथ भी ऐसा हो चुका है. मार्च 2017 में पंजाब सरकार के भी ओवरड्राफ्ट पर रिजर्व बैंक ने रोक लगाई थी.