Moon: इन दिनों चांद की काफी बातें हो रही हैं. दरअसल, भारत का चंद्रयान 3 चांद के काफी करीब पहुंच चुका है और लैंडिंग की तैयारी में है, जो कि चांद के कई रहस्यों का पता लगाएगा. इस बीच कई लोगों के मन में ये सवाल भी है कि क्या चांद पर जमीन खरीदी जा सकती है? कई कंपनियां पहले चांद पर जमीन बेचने और कई लोगों के जरिए चांद पर जमीन खरीदने की बात सामने आ चुकी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी हकीकत क्या है?


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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून


बता दें कि धरती पर मौजूद किसी भी देश का अंतरिक्ष पर अधिकार नहीं है और न ही चांद, सितारे और अन्य अंतरिक्ष की वस्तुओं पर किसी देश का कोई अधिकार है. इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून भी बना हुआ है. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून की पांच संधियों और समझौतों में "किसी एक देश के जरिए बाहरी अंतरिक्ष का गैर-विनियोग, हथियार नियंत्रण, अन्वेषण की स्वतंत्रता, अंतरिक्ष वस्तुओं से होने वाली क्षति के लिए दायित्व, अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और बचाव, की रोकथाम शामिल है." 


चांद पर जमीन


ऐसे में चांद पर जमीन खरीद सकते हैं या नहीं, इसको लेकर बता दें कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून चांद पर जमीन खरीदने को कानूनी तौर पर मान्य नहीं करता है. वहीं, कुछ कंपनियों का तर्क है कि ये कानून देशों को चांद पर किसी भी प्रकार का अधिकार जताने से रोकती है, नागरिकों को नहीं. ऐसे में उन कंपनियों का कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर चांद पर कानूनी रूप से जमीन खरीद सकता है.


जमीन बेचने का दावा


कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि Luna Society International और International Lunar Lands Registry वो कंपनी है जो कि चांद पर जमीन बेचने का दावा करती हैं. इनके जरिए कई लोग चांद पर जमीन खरीद चुके हैं. वहीं, कीमत के बारे में बात की जाए तो Lunarregistry.com के मुताबिक चांद पर एक एकड़ जमीन की कीमत 37.50 डॉलर यानी करीब 3,080 रुपये है. वहीं, अगर चांद के मालिकाना हक की बात की जाए तो इसका मालिकाना हक किसी के पास भी नहीं है और ना ही कोई इसका मालिकाना हक हासिल कर सकता है.


चांद पर मालिकाना हक


दूसरी तरफ स्पेस लॉ पर किताबें लिखने वाले लेखक डॉ. जिल स्टुअर्ट ने The Moon Exhibition Book नामक किताब भी लिखी है. इस किताब में उन्होंने लिखा है कि लोग चांद पर जमीन खरीदने और गिफ्ट करने को अब एक फैशन ट्रेंड बना चुके हैं. हालांकि, किसी चांद पर मालिकाना हक न होने से यह काम एक गोरखधंधा है और कई करोड़ों रुपयों का बिजनेस बन चुका है. करीब 3 हजार रुपये प्रति एकड़ की कीमत होने के चलते लोग इस पर सोच-विचार भी नहीं करते हैं.