25 करोड़ लोग और 9 साल... मोदी सरकार ने दिखाया ऐसा कमाल; `गरीबी` हुई गायब!
Poverty Headcount Ratio: मोदी सरकार के नेतृत्व में देश के लिए एक खुशखबरी आ गई है. पिछले 9 सालों में गरीबी जनसंख्या अनुपात (poverty headcount) में भारी गिरावट दर्ज की गई है. नीति आयोग (NITI Aayog) की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई है.
Poverty Headcount Ratio: भारत और गरीबी का रिश्ता काफी पुराना बताया जाता रहा है... लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में गरीबों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. मोदी सरकार के नेतृत्व में देश के लिए एक खुशखबरी आ गई है. पिछले 9 सालों में गरीबी जनसंख्या अनुपात (poverty headcount) में भारी गिरावट दर्ज की गई है. नीति आयोग (NITI Aayog) की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई है.
नीति आयोग ने आंकड़ा जारी कर बताया है कि पिछले 9 सालों में देश में गरीबी जनसंख्या के अनुपात में गिरावट आई है. गरीबी जनसंख्या का कुल अनुपात 2013-14 (अनुमानित) में 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 (अनुमानित) में 11.28 प्रतिशत हो गया. नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी (Multidimensional poverty), पिछले 9 सालों के दौरान 24.82 करोड़ व्यक्तियों के बहुआयामी गरीबी से बचने का अनुमान है.
यूपी समेत इन राज्यों में सबसे कम हुई गरीबी
2013-14 और 2022-23 के बीच भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के नौ सालों में लगभग 250 मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से बच गए हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में गरीबी में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है. नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि नौ सालों में 248.2 मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से बच गए हैं. यानी हर साल 27.5 मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से बच रहे हैं.
9 सालों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए
देश में पिछले नौ साल में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी यानी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मामले में गरीबी से बाहर आये हैं. बहुआयामी गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर में सुधार के जरिये मापा जाता है. इसके साथ इस अवधि के दौरान 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आये हैं. आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मोर्चे पर कमी की स्थिति को मापती है. यह 12 सतत विकास लक्ष्यों से संबद्ध संकेतकों के माध्यम से दर्शाए जाते हैं. इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं.