मोहम्मद हामिद, नई दिल्ली: पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानि सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) योजना की शुरुआत अप्रैल 1968 में हुई थी. इस योजना का मकसद था लोगों के अंदर बचत की भावना पैदा करना, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके. यह एक तरह की भविष्य जमा पूंजी हैं इसलिए इसे सार्वजनिक भविष्य निधि कहते हैं. 1968 में जब ये शुरू हुआ तो पहले साल इस पर सिर्फ 4.8 प्रतिशत का ही ब्याज मिला. PPF का अपना एक निजी रिकॉर्ड भी है, 1986 से लेकर 1989 तक यानि लगातार 14 साल तक पीपीएफ पर 12 प्रतिशत ब्याज मिला. अब इस पर 7.9 परसेंट का ब्याज मिलता है.


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क्या है PPF ?
कोई भी नागरिक PPF में निवेश कर सकता है, एक नागरिक एक ही अकाउंट खोल सकता है. आप सिर्फ 100 रुपये में PPF खाता किसी भी डाकघर, सरकारी बैंक और कुछ बड़े निजी बैंकों में जाकर खोल सकते हैं, इसमें आपको न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम डेढ़ लाख रुपये सालाना जमा करना होता है. इसमें सबसे अच्छी बात ये है कि इसे E-E-E श्रेणी में रखा जाता है यानि निवेश, ब्याज और रकम तीनों पर टैक्स छूट मिलती है. इसमें इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत निवेश पर भी छूट मिलती है. 


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PPF में निवेश क्यों करना चाहिए ?
इसमें निवेश पूरी तरह से सुरक्षित होता है, क्योंकि इसकी गारंटी सरकार लेती है. इसमें निवेश लेकर मैच्योरिटी तक कोई टैक्स नहीं देना होता. इसमें आप सालाना आधार पर या मासिक आधार पर निवेश कर सकते हैं. अगर आप कर्ज में डूब चुके हैं तो बैंक अपनी कर्ज वसूली के लिए PPF खाते को कुर्क नहीं कर सकता, कोर्ट भी इसका आदेश नहीं सकती.  आप PPF पर कर्ज भी ले सकते हैं.


PPF की कमियां
नई बचत योजनाओं के मुकाबले लॉक-इन पीरियड 15 साल कहा है, जबकि ELSS जैसी योजनाओं की मैच्योरिटी सिर्फ 3 साल है, जो इसे बेहद आकर्षक बनाती है. PPF पर अधिकतम रिटर्न 8 परसेंट के करीब रहता है, क्योंकि ये मार्केट से जुड़ा हुआ नही है, जबकि ELSS जैसी योजनाएं मार्केट लिंक्ड हैं इसलिए इनका रिटर्न 12 से 18 परसेंट तक भी होता है.  फिलहाल PPF पर 7.9 परसेंट ब्याज मिलता है. PPF से बीच में पैसा निकालने के लिए बहुत सारी शर्तें हैं.


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