RBI monetary policy meeting: रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी के नतीजों का आज ऐलान होगा. आरबीआई ने करीब पिछले एक साल से रेपो रेट्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. अभी रेपो रेट्स 6.5 फीसदी पर बना हुआ है. आरबीआई की बैठक 3 अप्रैल को शुरू हुई थी और आज इस पर फैसला सुनाया जाएगा. क्या आज आरबीआई रेपो रेट्स की दरों में बदलाव करेगा या नहीं...? क्या आज आपकी ईएमआई कम हो जाएगी... 


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अगर आपके मन भी इस तरह के सवाल चल रहे हैं तो इस पर जल्द ही फैसला आने वाला है. 


रेपो रेट्स में बदलाव की संभावना नहीं !


ज़ी बिजनेस की तरफ से किए गए मेगा पोल और एक्सपर्ट के मुताबिक, इस बार भी रेपो रेट्स में बदलाव की संभावना नहीं है. आरबीआई ने लगातार 6 बार से रेपो रेट्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे पहले आखिरी बार रेपो रेट्स की दरों में चेंज फरवरी 2023 में किया गया था. 


हर साल 6 बार होती है मीटिंग


केंद्रीय बैंक की तरफ से हर साल 6 बार मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग की जाती है. वित्त वर्ष 2024-25 की यह पहली एमपीसी की मीटिंग है. इस मीटिंग में रिजर्व बैंक रेपो रेट्स की समीक्षा करता है. इस पर फैसला लेने से पहले आरबीआई डिमांड, सप्लाई, इंफ्लेशन और क्रेडिट जैसी कई फैक्टर्स को ध्यान में रखता है. 


अक्टूबर 2024 वाली मीटिंग में कटौती की संभावना


इस बार अप्रैल और जून महीने में मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में रेपो रेट्स में बदलाव की संभावना काफी कम है. एक्सपर्ट का मानना है कि इस साल अक्टूबर महीने में होने वाली एमपीसी की बैठक में कटौती हो सकती है. 


आम जनता पर क्या होता है असर?


रेपो रेट्स के घटने या बढ़ने का असर बैंकों के लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है. आरबीआई की तरफ से रेपो रेट्स बढ़ने से बैंक होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन  समेत सभी तरह के लोन को महंगा कर देता है. यानी सीधी सी बात है ब्याज दरों में इजाफा कर दिया जाता है... वहीं, अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट्स की दरों में कटौती करता है तो इससे लोन के ब्याज की दरें भी कम हो जाती हैं. 


महंगाई पर भी होता है असर


आरबीआई की तरफ से ब्याज दरें बढ़ने से लोन महंगा हो जाता है और लोग लोन लेना कम कर देते हैं. इससे इकोनॉमी में भी चीजों की मांग कम हो जाती है. डिमांड कम होने से किसी भी चीज पर महंगाई नहीं बढ़ती है. 


क्या होता है Repo Rate ?


रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारत का केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) कमर्शियल बैंकों को लोन देता है. इसी के आधार पर लोन लेने वालों की ईएमआई तय की जाती है. रेपो रेट्स बढ़ने पर बैंक लोन की ब्याज दरों में इजाफा कर देते हैं. वहीं, रेपो रेट्स घटने पर बैंक लोन की ब्याज दरों में कटौती कर देते हैं. 


रेपो रेट में क्यों होता है बदलाव ?


बता दें कि रिजर्व बैंक महंगाई को नियंत्रण में करने के लिए ब्याज दरों में इजाफा और कटौती करता है. यह मुद्रास्फीति ही है, जिसे थामने के लिए सारी दुनिया के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी या कटौती करते रहते हैं.