Supreme Court on Sahara Refund: सुप्रीम कोर्ट सहारा ग्रुप के न‍िवेशकों के पैसा वापसी को लेकर एक बार फ‍िर से सख्‍त नजर आ रहा है. 3 स‍ितंबर को शीर्ष अदालत की तरफ से अपने आदेश में कहा गया था क‍ि सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट में 10,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए सहारा ग्रुप की प्रॉपर्टी बेचने पर क‍िसी तरह का प्रतिबंध नहीं है. इसके दो द‍िन बाद शीर्ष अदालत ने सहारा ग्रुप को 15 दिन के अंदर एक अलग एस्क्रो अकाउंट (तीसरे पक्ष का खाता) में 1,000 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश द‍िया है. इसके साथ ही मुंबई के वर्सोवा में अपनी जमीन के डेवलपमेंट के लिए ज्‍वाइंट वेंचर बनाने की अनुमति दी है.


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सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट में जमा होंगे 10000 करोड़


जेवी की मंजूरी देने के पीछे आने वाले समय में 10,000 करोड़ रुपये प्राप्त करने का मकसद है. शीर्ष अदालत के साल 2012 के आदेश के पालन में निवेशकों का पैसा वापसी के ल‍िए 10,000 करोड़ की राशि सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट में जमा की जानी है. न्यायमूर्ति संजीव खन्‍ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि यदि ज्‍वाइंट वेंचर 15 दिन के अंदर अदालत में दाखिल नहीं किया जाता तो वह वर्सोवा में 1.21 करोड़ वर्ग फीट जमीन ‘जहां है जैसी है’ के आधार पर बेच देगी.


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जेवी 15 दिन में दाखिल नहीं हुई तो न्‍यायालय जमीन बेचने के ल‍िए स्‍वतंत्र
पीठ ने यह भी कहा, 'हम एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल (सहारा ग्रुप की कंपनियां) को अदालत में द‍िये गए बयान का पालन करने के ल‍िए 15 दिन का समय देते हैं. यदि ज्‍वाइंट वेंचर 15 दिन के अंदर दाखिल नहीं होता तो यह न्यायालय वर्सोवा भूमि को जहां है, उसी के आधार पर बेचने के लिए स्वतंत्र होगा. आदेश के अनुसार, 'तीसरे पक्ष की तरफ से जमा की जाने वाली 1,000 करोड़ रुपये की राशि एस्क्रो अकाउंट में रखी जाएगी. अगर अदालत की तरफ से ज्‍वाइंट वेंचर को मंजूरी नहीं दी जाती है तो 1000 करोड़ की राश‍ि को तीसरे पक्ष को वापस कर द‍िया जाएगा.'


डेवलपमेंट के लिए ज्‍वाइंट वेंचर करने की अनुमति दी
मामले पर अगली सुनवाई एक महीने बाद की जाएगी. शीर्ष अदालत ने सहारा ग्रुप की कंपनियों- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) को मुंबई में एंबी वैली प्रोजेक्‍ट समेत अन्य संपत्तियों के डेवलपमेंट के लिए ज्‍वाइंट वेंचर करने की अनुमति दी है. इन्‍हें 2012 में करीब 25,000 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया था. इसमें से सहारा ग्रुप की तरफ से करीब 15000 करोड़ रुपये जमा क‍िये जाने के बाद बाकी के 10000 करोड़ आज तक बकाया हैं.


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क्‍या है पूरा मामला
उच्‍चतम न्‍यायालय ने 1 अगस्त, 2012 को निर्देश दिया था क‍ि सहारा ग्रुप की कंपनियां एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल निवेशकों से ल‍िये गए पैसे 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ सेबी को वापस करें. सहारा से म‍िलने वाला पैसे को सेबी न‍िवेशकों को लौटाएगा. सहारा की तरफ से द‍िया जाने वाला ब्याज पैसा जमा करने की तारीख से री-पेमेंट की तारीख तक के लिए देय होगा. कुल पैसा करीब 25000 करोड़ रुपये था. इसमें से 10000 करोड़ रुपये अभी तक बाकी है. दो द‍िन पहले अदालत में सहारा ग्रुप के व‍कील ने कहा था क‍ि कंपनी को संपत्तियां बेचने का मौका नहीं दिया गया. इस पर पीठ ने कहा था क‍ि बकाया 10,000 करोड़ जमा करने के लिए सहारा ग्रुप पर अपनी प्रॉपर्टी बेचने के लिए क‍िसी तरह का प्रतिबंध नहीं है.


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