नई दिल्ली: रुपया इस साल एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रहा है. एचएसबीसी ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज कहा कि रुपये में गिरावट की प्रमुख वजह डॉलर का मजबूत होना है. यह घरेलू मुद्रा की अंतर्निहित कमजोरी की वजह से नहीं है. गत 16 अगस्त को रुपया पहली बार 70 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से नीचे बंद हुआ. तुर्की संकट की वजह से डॉलर मांग में तेजी की वजह से रुपये में गिरावट आई. 


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एचएसबीसी ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट, इंडिया के मुख्य निवेश अधिकारी तुषार प्रधान ने कहा, ‘‘अन्य उभरते बाजारों मसलन रूस, ब्राजील, अर्जेंटीना तथा तुर्की की मुद्राओं की तुलना में रुपये का प्रदर्शन बेहतर रहा है.’’ 


प्रधान ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘क्षेत्र में भारतीय रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. यह इस साल 8.5 प्रतिशत टूटा है. अन्य उभरते बाजारों से तुलना की जाए तो रूस की मुद्रा 13.7 प्रतिशत, ब्राजील 14.8 प्रतिशत, अर्जेंटीना 37.8 प्रतिशत तथा तुर्की की मुद्रा 42 प्रतिशत कमजोर हुई है.’’ 


वैश्विक अनिश्चितताओं तथा मुद्रास्फीति को लेकर चिंता के बीच रुपया कमजोर हुआ है. प्रधान ने आगे कहा कि रुपये में यह गिरावट डॉलर मजबूत होने की वजह से अधिक तथा अंतर्निहित कमजोरी की वजह से कम है.