डीजल की गाड़ियां बंद हो जाएंगी? क्या चाहती है सरकार? गडकरी का बयान लास्ट वार्निंग तो नहीं?
DNA Analysis: नितिन गडकरी ने भले ही मुस्कुराते हुए ये बात कही है, लेकिन उनके बयान से पता चलता है कि सरकार, डीजल वाहनों को भारत की सड़कों से पूरी तरह Out करने को लेकर कितनी गंभीर है.
DNA Analysis: ये तो सब जानते हैं कि डीजल से चलने वाली गाड़ियां, पर्यावरण को महंगी पड़ती हैं, क्योंकि उनसे प्रदूषण ज्यादा होता है. अब डीजल की गाड़ियां खरीदना, आपको भी महंगा पड़ सकता है. क्योंकि डीजल की गाड़ियां खरीदने पर आपको Extra Tax देना पड़ सकता है. दरअसल केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वो, सरकार से डीजल इंजन वाली गाड़ियों पर 10 फीसदी Extra Tax लगाने की सिफारिश करने वाले हैं. ये बयान उन्होंने Society Of Indian Automobile Manufacturers, SIAM (सियाम) के Annual Convention में दिया है. नितिन गडकरी ने बेहद नरम लहजे में, बेहद सख्त चेतावनी भी दी है कि वाहन निर्माता कंपनियां, डीजल वाहन बनाना बंद कर दें, नहीं तो सरकार, Tax इतना बढ़ा देगी कि डीजल कार बेचना मुश्किल हो जाएगा.
नितिन गडकरी ने भले ही मुस्कुराते हुए ये बात कही है, लेकिन उनके बयान से पता चलता है कि सरकार, डीजल वाहनों को भारत की सड़कों से पूरी तरह Out करने को लेकर कितनी गंभीर है. हालांकि नितिन गडकरी ने बाद में खुद ये Clear किया है कि उन्होंने डीजल इंजन वाली गाड़ियों पर 10 फीसदी Extra GST लगाने की जो बात कही है, वो सिर्फ Proposal है और सरकार अभी, डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने के ऐसे किसी प्रस्ताव या सिफारिश पर विचार नहीं कर रही है.
लेकिन एक बात एकदम Clear है, वो ये कि अब सरकार, डीजल के इस्तेमाल को कम से कम करना चाहती है. इसलिए अगर नितिन गडकरी ने वाहन निर्माता कंपनियों को डीजल गाड़ियों पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाने की बात कही है. तो इसके पीछे का Message यही है कि अब भारत में डीजल गाड़ियों के दिन गिने-चुने ही बचे हैं.
भले ही नितिन गडकरी कह रहे हैं कि 10 फीसदी अतिरिक्त टैक्स की बात उन्होंने सिर्फ Automobile Companies को चेतावनी देने के लिए कही है. लेकिन एक बात तो तय है कि सरकार अब डीजल गाड़ियों की बिक्री को पूरी तरह बंद करके, उसकी जगह Alternative Fuel जैसे CNG और Ethenol को Promote करना चाहती है. इसलिए नितिन गडकरी ने 10 फीसदी अतिरिक्त टैक्स की जो बात कही है, उसे कार कंपनियों को Last Warning माना जा रहा है. क्योंकि सरकार का Plan है कि वर्ष 2027 तक देश के शहरों को Diesel Free कर दिया जाए.
इसके लिए सरकार ने पेट्रोलियम मंत्रालय की एक सलाहकार समिति बनाई थी. जिसने केंद्र को इसी वर्ष मई में अपनी जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें डीजल वाहनों को Phase Out करने का पूरा Plan बताया गया है. जो दस लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों में लागू करने की सिफारिश की गई है. सलाहकार समिति ने जो सुझाव दिये हैं, उनमें कहा गया है कि...
-वर्ष 2027 तक डीजल से चलने वाले सभी Four Wheelers की बिक्री बंद कर देनी चाहिए.
-वर्ष 2024 के बाद, डीजल से चलने वाली नई बसों का Registration बंद होना चाहिए.
-वर्ष 2030 के बाद सिर्फ Electric Buses ही चलनी चाहिएं.
-साथ ही, गैस से चलने वाले ट्रकों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया गया है.
-साल 2024 से शहरों में सिर्फ उन्हीं Delivery Vehicles का Registration किया जाए जो Electric Based हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर डीजल गाड़ियों को बंद करके क्या हासिल होगा ? अब ये भी आपको बताते हैं... दरअसल, चीन और अमेरिका के बाद भारत अभी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा Carbon उत्सर्जक देश है. दुनिया का 7 से 8 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन भारत में होता है. लेकिन वर्ष 2030 तक भारत, अपने कार्बन उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करना चाहता है. वर्ष 2070 तक इसे Net Zero तक लाने का Target हासिल करना चाहता है.
Net Zero का मतलब ये होता है कि हम जितना Carbon पैदा कर रहे हैं, उतना ही उसे Absorb करने का इंतजाम भी कर रहे हैं. इसे ऐसे समझिये कि अगर कोई Factory, जितना Carbon उत्सर्जन कर रही है, उतने Carbon को Absorb करने के लिए जरूरी पेड़ भी लगा रही है तो उसका Carbon उत्सर्जन Net Zero हो जाएगा. यही बात देश पर भी लागू होती है.
लेकिन Net Zero का लक्ष्य हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि Carbon उत्सर्जन कम से कम हो, और इसके लिए जरूरी है कि जितना हो सके, Fossil Fuel का इस्तेमाल ना के बराबर हो. और डीजल-पेट्रोल भी Fossil Fuel ही है. जो भारत के Carbon उत्सर्जन में बड़ी हिस्सेदारी निभाते हैं.
भारत में जितना Carbon उत्सर्जन होता है, उसमें Transport Sector का हिस्सा 14 फीसदी है. और Transport Sector में 90 फीसदी Carbon उत्सर्जन, अकेले Road Transport की वजह से होता है. इसलिए सरकार चाहती है कि Fuel के इस्तेमाल के मामले में साल 2030 तक Natural Gas की हिस्सेदारी बढ़कर 15 फीसदी हो सके. जो कि अभी करीब 7 फीसदी ही है. तो अब सोचने वाली बात ये है कि Carbon उत्सर्जन तो पेट्रोल और डीजल दोनों से होता है, तो फिर डीजल गाड़ियों को ही बंद करने की बात क्यों हो रही है? तो यहां पेट्रोल के साथ एक अच्छी बात ये है कि उससे, डीजल के मुकाबले कम प्रदूषण होता है. यानी डीजल पर Ban लगने से Carbon उत्सर्जन और प्रदूषण, दोनों समस्याओं में कमी आएगी.
डीजल वाहनों पर दस प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगाने की बात कहकर नितिन गडकरी ने सरकार के इरादे साफ कर दिये हैं. और वैसे डीजल वाहनों को Phase Out करने की दिशा में सरकार काफी लंबे वक्त से कदम उठा रही है. क्योंकि अब सरकार की Priority, Electric और Ethenol Fuel से चलने वाली गाड़ियों को Promote करना है, जिसके लिए Infrastructure तैयार करने का काम तेजी से चल भी रहा है और इसका असर भी अब दिखने लगा है.
वर्ष 2013 में Passenger Cars के Segment में डीजल कारों की हिस्सेदारी अठावन प्रतिशत थी. जो वर्ष 2019-20 में 30 प्रतिशत और 2020-21 में सिर्फ 17 फीसदी रह गई है. हालांकि सरकार का Focus अभी सिर्फ Passengers Cars में डीजल को Ban करने पर ही ज्यादा है. जिसकी जगह पर Electric Mobility को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस वक्त भारत में 30 लाख से ज्यादा Electric Vehicles, Registered हैं. वर्ष 2021 के मुकाबले 2022 में Electric Vehicles की बिक्री में 300 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
वर्ष 2030 तक भारत में EVs Sector की सालाना Growth Rate, 50 प्रतिशत रहने की संभावना है. वर्ष 2030 तक भारत की Electric Vehicles का MARKET Size, 20 लाख करोड़ होने का अनुमान है. यानी भारत के Road Transport का भविष्य, Electric Vehicles का होने वाला है. जिसमें डीजल वाहनों की कोई जगह नहीं बनती. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सभी बड़े देश अब डीजल-पेट्रोल वाहनों से पीछा छुड़ाकर Clean Fuel की तरफ अपने कदम तेजी से बढ़ा रहे हैं. अब हम आपको दुनिया के बड़े देशों के Target के बारे में बताते हैं.
भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक देश में जितनी कारें बिकें, उनमें 30 फीसदी Electric हों. European Union के 27 देशों ने मिलकर तय किया है कि वर्ष 2035 तक पेट्रोल-डीजल पर चलने वाले वाहन पूरी तरह बंद कर दिये जाएंगे. Norway में वर्ष 2025 के बाद सिर्फ वही वाहन बेचे जाएंगे जो Electric Battery या Hydrogen पर चलते हों. ब्रिटेन, इजरायल और सिंगापुर, तीनों देश वर्ष 2030 तक डीजल-पेट्रोल वाहनों की बिक्री को पूरी तरह बंद कर देंगे. चीन भी वर्ष 2035 तक, पेट्रोल-डीजल वाहनों को पूरी तरह BAn कर देना चाहता है. अमेरिका ने भी तय किया है कि वर्ष 2030 तक 50 फीसदी कारें, Clean Fuel पर चलने वाली होंगी. कारों का सबसे बड़ा निर्माता, जापान भी चाहता है कि वर्ष 2030 तक वो भी डीजल-पेट्रोल वाहनों को सड़कों से हटा दे.
यानी दुनिया ने तय कर लिया है कि अब डीजल-पेट्रोल को Tata Bye-Bye बोलने का वक्त आ चुका है. जिसको लेकर भारत सरकार के Vision को ही केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी Clear किया है. जिससे ना सिर्फ पर्यावरण को फायदा पहुंचेगा बल्कि वर्ष 2030 तक Oil Import पर होने वाला 20 लाख करोड़ रुपये का खर्च भी कम हो जाएगा.