How Many Hindus in Bangladesh: बांग्लादेश में प्रदर्शन चल रहा है, वहां की प्रधानमंत्री अपना इस्तीफा दे चुकी हैं. शेख हसीना हिंदू और मुस्लिम दोनों को साथ लेकर चलने वाली पीएम मानी जाती थीं, लेकिन उनकी विरोधी पार्टी एक ही पक्ष को सपोर्ट करने वाली मानी जा रही है. शेख हसीना बांग्लादेश में 20 साल तक सत्ता में रहीं. उन्होंने 5 बार पीएम का पदभार संभाला. अब देश में हिंसी बढ़ती जा रही है. हम आपको यहां बता रहे हैं कि बांग्लादेश में कितने हिंदू रहते हैं?


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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा व्यवहार किया गया है कि वहां हिंदुओं की संख्या 1951 में 22 प्रतिशत से घटकर 2022 में 8 प्रतिशत से कम रह गई. वहीं, इसी दौरान मुसलमानों की संख्या 1951 के 76 प्रतिशत से बढ़कर 91 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है. 


हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के मुताबिक, 1964 और 2013 के बीच धार्मिक उत्पीड़न के कारण 11 मिलियन से ज्यादा हिंदू बांग्लादेश छोड़कर चले गए. उनका कहना है कि हर साल 230,000 हिंदू देश छोड़ रहे हैं. डीडब्ल्यू के मुताबिक, 2000 से 2010 के बीच देश की आबादी से लगभग दस लाख हिंदू गायब हो गए, जैसा कि 2011 की जनगणना में देखा गया है.


कैसे घटा बांग्लादेश में हिंदुओं का ग्राफ
साल 1951 में वहां 22 फीसदी हिंदू थे. 10 साल बाद साल 1961 में इनकी संख्या घटकर 18.5 फीसदी रह गई. इसके बाद जब साल 1974 आया तो वहां हिंदुओं की संख्या और घट गई जोकि 13.5 फीसदी रह गई. साल 1981 में ये घटकर 12.1 फीसदी पर आ गई. इसी तरह साल 1991 आते आते ये संख्या 10.5 फीसदी पर आ गई. इसके बाद तो साल 2001 में ये घटकर 10 फीसदी से भी नीचे 9.2 फीसदी पर आ गई. साल 2011 में जब जनगणना हुई तो ये संख्या 8.5 फीसदी पर आ गई.  वहीं साल 2022 में 7.9 फीसदी हिंदू ही रह गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी बांग्लादेश में करीब 1.3 करोड़ हिंदू रहते हैं.


बांग्लादेश में कैसे बढ़ा मुस्लिमों का ग्राफ
साल 1951 में वहां 76 फीसदी मुस्लिम रहते थे. साल 1961 में ये संख्या बढ़कर 80.4 फीसदी हो गई. इसी तरह ये बढ़ोतरी जारी रही और साल 1974 में 85.4 फीसदी और साल 1981 में 86.6 फीसदी हो गई. इसके बाद साल 1991 में ये ग्राफ 88.3 फीसदी पर पहुंच गया और 20वीं सदी की शुरूआत में ये जनसंख्या 89.7 फीसदी हो गई. इसी तरह साल 2011 में ये 90.4 फीसदी और साल 2022 में ये संख्या बढ़कर 91.1 फीसदी हो गई.


बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के तौर पर शेख हसीना का 15 साल का शासन खत्म हो गया. एक महीने से ज्यादा समय तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद देश छोड़ दिया. सेना ने घोषणा की कि वह एक अंतरिम सरकार बनाएगी. ऐसा कहा जा रहा है कि जुलाई की शुरुआत से, हसीना ने अपनी सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन को दबाने की कोशिश की थी.


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1986 में हसीना ने पहली बार अस्थायी तौर पर पीएम का पद संभाला था. इसके बाद 23 जून 1996 में वो पहली बार पीएम चुनी गईं. 2001 से 2009 तक वो विपक्ष में रहीं. 2009 में दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली. 2014 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनीं. 2019 में चौथी बार पीएम बनीं. जनवरी 2024 में बांग्लादेश में आम चुनाव हुए और आवामी लीग सबसे बड़ी पार्टी बनी. फिर शेख हसीना पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनी थीं.  


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