Bini Muduli Success Story: बिनी सीमित संसाधनों के साथ पली बढ़ीं, लेकिन पढ़ाई के लिए उनके जुनून ने उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया. कई चुनौतियों के बावजूद बिनी ने अपनी मौजूदा परिस्थितियों को अपना भविष्य नहीं बनने दिया. 24 वर्षीय बिनी मुदुली ने साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प हो तो बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है. विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह से आने वालीं बिनी ने कई मुश्किलों को पार कर यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की. हालांकि, बिनी का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा. पढ़िए उनकी सफलता के संघर्ष भरे सफर की कहानी...


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कहां से हुई है पढ़ाई-लिखाई? 
बिनी मुदुली का जन्म मलकानगिरी जिले के खेमागुड़ा गांव में हुआ. उनके पिता राम मुदुली हैं, जो मुदुलीपाड़ा के सरकारी हाई स्कूल में रसोइया और केयरटेकर के रूप में काम करते हैं. बिनी की मां सुनामाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं. उनके माता-पिता हमेशा उनका समर्थन करते रहे हैं और उनकी उपलब्धि से बहुत ज्यादा खुश हैं. बिनी ने मलकानगिरी के बोंडा घाट के एक सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और फिर जवाहर नवोदय विद्यालय चली गईं. इसके बाद विक्रम देवी (ऑटोनॉमस) कॉलेज, जेपोर से बॉटनी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. 


बिनी ने आगे बताया, "पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद मैंने आयुर्वेदिक असिस्टेंट के रूप में काम करना शुरू कर दिया, जब मैं पहली बार इंटरव्यू राउंड में जगह बनाने में असफल रही, तो मुझे एहसास हुआ कि मेरी तैयारी पर्याप्त नहीं थी और मुझे और अधिक मेहनत करनी होगी. फिर मैं ऑनलाइन मॉक टेस्ट में शामिल हुई, जिससे मुझे बहुत मदद मिली."


द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बिनी ने बताया, "मुझे पता था कि मेरे माता-पिता मेरी कोचिंग का खर्च उठाने में सक्षम नहीं होंगे, लेकिन मैंने फैसला किया कि यह मेरे सिविल सेवक बनने के सपने को पूरा करने में बाधा नहीं बनेगा."


अपनी तैयारी के बारे में उन्होंने कहा, "मैंने यूट्यूब वीडियो और ऑनलाइन स्टडी मटेरियल देखकर तैयारी शुरू की. परीक्षा की रणनीति सीखने के लिए मैंने टॉपर्स के वीडियो देखे."


ऑनलाइन स्टडी मटेरियल से मिली मदद
ओसीएस परीक्षा की तैयारी के लिए इंटरनेट और यूट्यूब का सहारा लिया.  कोचिंग संस्थानों में जाने बजाए बिनी अपनी लगन और ऑनलाइन उपलब्ध स्टडी मटेरियल पर निर्भर थी. यहां तक कि इंटरनेट तक पहुंचना भी आसान नहीं था. उन्हें अपने गृह गांव मुदुलीपाड़ा को छोड़ गोविंदपाली जाना पड़ा, जहां इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध हैं. 


कड़ी मेहनत से बदल ही दी अपनी किस्मत
बिनी की कड़ी मेहनत और दृढ़ता का फल तब मिला जब उन्होंने ओपीएससी की ओडिशा सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की. बीते शनिवार को जब नतीजे आए तो वह छोटे बोंडा समुदाय से राज्य सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली पहली व्यक्ति बन गईं. साल 2020 में अपने पहले प्रयास में वह फाइनल मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाई थीं. इसके बाद उम्मीद न खोते हुए बिनी ने इस बार 596वीं रैंक हासिल की.


इस मकसद से बनीं सिविल सर्वेंट
बिनी ने कहा कि एक सिविल सेवक के रूप में वह आदिवासी समुदाय के विकास के लिए काम करेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि वह खासकर लड़कियों के लिए शिक्षा और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगी कि सरकार की सभी आदिवासी विकास योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुंचे.