MBA Degree: आज के दौर में आंत्रप्रेन्योरशिप ने पूरी दुनिया में हलचल मचा रखी है. छोटी मीडियम फर्मों, आधुनिक स्टार्ट-अप्स के आने से ट्रेडिशनल बिजनेस को पूरी तरह से बदल दिया है नए मौके और ट्रेंड्स जेनरेट हो रहे हैं. आज बड़ी संख्या में प्रोफेशनल  आंत्रप्रेन्योरशिप को अपने करियर के रूप में चुन रहे हैं. एमबीए प्रोग्राम इनोवेशन एवं आंत्रप्रेन्योरशिप को बढा़वा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. बिजनेस के बदलते तरीकों के बीच एमबीए प्रोग्रामों में भी बदलाव आए हैं, आज ये प्रोग्राम कारोबार के स्टैण्डर्ड मॉडल या स्ट्रेटजी तक सीमित नहीं हैं.


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इसके बजाए, वे स्टूडेंट्स को ज़रूरी नॉलेज और स्किल के साथ ट्रेंड बना रहे हैं, ताकि वे अपना बिजनेस शुरू कर इसे सफलतापूर्वक आगे बढ़ा सकें. एमबीए प्रोग्रामों ने आंत्रप्रेन्योर्स की नई जेनरेशन को जन्म दिया है जो इंडस्ट्री को नए आयाम देकर इनोवेशन को गति प्रदान कर रहे हैं.


आंत्रप्रेन्योरशिप के लिए मार्केट, मौजूदा कंपटीशन और टारगेट कंज्यूमर की समझ होना बहुत ज़रूरी है. आज के एमबीए प्रोग्राम स्टूडेंट्स को ऐसे टूल्स उपलब्ध कराते हैं ताकि वे मार्केट को समझकर और मौकों की पहचान कर बिजनेस के लिए प्रभावी प्लानिंग तैयार कर सकें. वे स्टूडेंट्स को फाइनैंस के मैनेजमेंट, टीम बनाने और अपने प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज की मार्केटिंग के लिए भी तैयार करते हैं.


जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट नोएडा के डायरेक्टर डॉ. शुभज्योति रे ने बताया कि एमबीए प्रोग्रामों का एक और फायदा है कि वे स्टूडेंट्स को उनके जैसी सोच वाले नेटवर्क के साथ जोड़ते हैं. इस तरह अलग अलग तरह के बैकग्राउंड से आने वाले स्टूडेंट्स एक ही प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ जाते हैं. उनका एक ही उद्देश्य होता है- सफल बिजनेस खड़ा करना. इस तरह प्रोग्राम के दौरान बने रिश्ते बहुत ज्यादा मायने रखते हैं.


इसके अलावा, बहुत से बिजनेस स्कूलों में इन्क्युबेशन सैल्स होती हैं, जो आंत्रप्रेन्योरशिप और इनोवेशन को बढ़ावा देती हैं. ये स्टूडेंट्स में आत्मनिर्भरता, सेल्फ एंप्लॉयड और जोखिम उठाने की क्षमता जैसे गुण डेवलप करने में अहम भूमिका निभाती हैं.


एक जाने-माने एमबीए कॉलेज में एडमिशन लेने से छात्रों को रीयल लाइफ की समस्याओं को प्रक्टिकली समझने का मौका मिलता है. वे व्यवहारिक एनवायरमेंट में केस स्टडीज और सिमुलेशन्स को पढ़ते हुए अपने नॉलेज और स्किल का उपयोग करते हैं, इस तरह उन्हें बिजनेस की दुनिया की चुनौतियों को समझने, उन्हें हल करने, टीम में काम करने और फैसले लेने का मौका मिलता है. इस तरह के एक्सपीरिएंस उन्हें आंत्रप्रेन्योरशिप की चुनौतियों के लिए मजबूती से तैयार करते हैं.


इसके अलावा अनुभवी फैकल्टी, उन्हें क्लासरूम में जरूरी एडवाइज, नॉलेज, गाइडेंस और मेंटरशिप प्रदान करती है. प्रतिष्ठित एमबीए कॉलेज नियमित रूप से अपने कैम्पस में सफल उद्यमियों को बुलाते रहते हैं, इस तरह छात्रों को इन उद्यमियों के साथ बातचीत करने, उनसे मार्गदर्शन पाने का मौका मिलता है. इस तरह के इंटरैक्शन स्टूडेंट्स के लिए बेहद प्रेरणादायी साबित होते हैं, साथ उन्हें आंत्रप्रेन्योरशिप वर्ल्ड के नए सबक दे जाते हैं.


साथ ही एमबीए प्रोग्राम इनोवेशन के महत्व पर भी रोशनी डालते हैं. आज के दौर में आंत्रप्रेन्योरशिप  में निरंतर इनोवेट करना, ऐसे प्रोडक्ट्स और सर्विसेज लाते रहना जरूरी है जो मार्केट में नए बदलाव ला सकें. ये प्रोग्राम छात्रों को दायरे से बाहर जाकर सोचने और मौजूदा चुनौतियों के लिए रचनात्मक समाधान लाने के लिए मोटिवेट करते हैं.


इन सब फायदों के साथ-साथ एमबीए प्रोग्राम स्टूडेंट्स को सफल एल्युमनाई के नेटवर्क के साथ भी जोड़ते हैं, जो उद्यमी बन चुके हों. वे अक्सर स्टूडेंट्स को जरूरी सहयोग, मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और यहां तक कि अच्छे बिज़नेस आइडिया के लिए फाइनेंस और अन्य संसाधन भी उपलब्ध कराते हैं.


एमबीए स्टूडेंट्स में आंत्रप्रेन्योरशिप की पॉपुलेरिटी लगातार बढ़ रही है, बहुत से प्रोग्राम अब आंत्रप्रेन्योरशिप और स्टार्ट-अप्स में विशेष कोर्सेज़ भी ऑफर करते हैं. वे स्टूडेंट्स को लर्निंग के व्यवहारिक अवसर प्रदान करते हैं जैसे इंटर्नशिप, स्टार्ट-अप कंपटीशन और मेधावी छात्रों के लिए स्कॉलरशिप आदि.


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आखिर में, एमबीए प्रोग्राम सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप  के महत्व को बढ़ावा देते हैं, जहां बिजनेस के प्रिंसिपल्स का इस्तेमाल कर सामाजिक समस्याओं को हल किया जा सके. इस संदर्भ में, स्टूडेंट्स को बिजनेस स्थापित करने के लिए ट्रेंड किया जाता है, जो समाज एवं समुदाय पर पॉजिटिव प्रभाव डाल सकें. शैक्षणिक संस्थान भी स्टूडेंट्स को उनके कारोबार के माध्यम से समाज पर पॉजिटिव प्रभाव डालने और भविष्य के लिए बदलावकर्ता बनने के लिए मोटिवेट करते हैं.


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