क्या है कोसी नदी का नेपाल-भारत कनेक्शन, क्यों कहलाती है ये `बिहार का शोक`?
Koshi River: कोसी नदी एक बार फिर बिहार में अपना रौद्र रूप दिखा रही है. बिहार के लोगों के लिए कोसी नदी कभी वरदान से कब नहीं तो दूसरे ही पल ये अभिसाप साबित होती है. जानिए इसे क्यों कहता हैं बिहार का शोक
Koshi River Sorrow of Bihar: नेपाल में बीते दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश से वहां के कई इलाकों में बाढ़ आ गई है. वहां कई जगहों पर भूस्खलन हुआ है, जिसका असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है. भारी बारिश के कारण बिहार की कोसी नदी में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. अक्सर कोसी नदी से जुड़े सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं. ऐसे में यहां हम आपको इस नदी के बारे में कुछ अहम बातें बताने जा रहे हैं...
हर साल बारिश में इस नदी के चलते बिहार चर्चा में आ जाता है. हालांकि, राज्य में कोसी के अलावा भी कई नदियां हैं, जो उफान पर आती हैं तो बिहार के कई जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन बिहार में इतनी ज्यादा बाढ़ आती क्यों है? बिहार की बाढ़ का कनेक्शन हर बार नेपाल से क्यों जुड़ता है? आइए जानते हैं..
बिहार के जिन इलाकों से कोसी नदी गुजरती हैं, वहां की फसलें लहलहाती रहती हैं, क्योंकि जमीन खूब उपजाऊ हैं, तभी तो इसे मिथिला की लाइफ लाइन भी कहा जाता है. यह नदी शांत रहकर जितना लोगों को खुशहाल कर देती है, विनाशकारी बनकर उतना ही दर्द भी देती है. इस समय भी बिहार में कोसी, गंडक, बागमती नदी कहर बरपा रही है.
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बिहार का शोक
कोसी नदी का महत्व तो हिंदू धर्म के पुराणों और वेदों में भी बताया गया है. फणीश्वरनाथ रेणु जैसे कई बड़े लेखकों ने इस पर लिखा है. वहीं, कोसी नदी को 'बिहार का शोक' नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि जब यह अपने रौद्र रूप में आती है तो सब तबाह कर छोड़ती है. इसमें आने वाली बाढ़ से बिहार के लाखों लोगों को बेघर होना पड़ता है. नेपाल की 7 नदियां कोसी में मिलती है, जो बिहार में हर साल भारी बाढ़ लाकर तबाही मचाती है.
बिहार में क्या है बाढ़ का हाल?
बिहार आपदा विभाग के अनुसार यह भारत का सर्वाधिक बाढ़ ग्रस्त राज्य है, जहां कुल आबादी के 76 प्रतिशत लोग बाढ़-आवर्ति क्षेत्रों में निवास करते हैं. राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73 प्रतिशत (करीब 68,800 वर्ग किमी) हिस्सा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आता है.
बिहार की बाढ़ का नेपाल कनेक्शन
कोसी नदी या कोशी नदी नेपाल में हिमालय से निकलती है और बिहार में भारत में दाखिल होती है. बिहार का मैदानी इलाका नेपाल से लगा हुआ है. नेपाल से कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, बागमती समेत कई नदियां बिहार में आकर बहती हैं.
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नेपाल से सटे जिले
बिहार का पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिले नेपाल से लगे हुए हैं. जब भी नेपाल में भारी बारिश होती है तो इन सभी नदियों का पानी बिहार में आता है.
ये है बाढ़ की बड़ी वजह
जानकारों का यह मानना है कि नेपाल में जब तक कोसी नदी पर हाई डैम नहीं बनेगा, तब तक बिहार बाढ़ की चपेट में आता रहगा. बताया जाता है कि भारत और नेपाल के बीच इसे लेकर कई बार बातचीत भी हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया, क्योंकि नेपाल के लोग नहीं चाहते कि कोसी पर हाई डैम बने. उनका मानना है कि इससे पर्यावरण पर बुरा असर होगा और साथ ही नेपाल का बड़ा हिस्सा डूब जाएगा.
फरक्का बराज भी एक वजह
बताया जाता है कि बिहार में बाढ़ आने की एक कारण फरक्का बराज भी है. दरअसल, गंगा और अन्य नदियों के साथ गाद (सिल्ट) बहकर आता है, जिससे नदी के रास्ते में रुकावट आती है. पहले गाद पानी के साथ बह जाती थी, लेकिन तटबंधों और बराज की वजह से ऐसा नहीं होता. इससे नदी उथली होती जा रही हैं, जो बाढ़ आने का कारण बनता है.