IAS Divya Tanwar: डॉ. विकास दिव्यकीर्ति द्वारा स्थापित दृष्टि IAS कोचिंग के गलियारों में एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी गूंजती है जो संघर्ष और सफलता का प्रतीक है. यह कहानी है युवा अधिकारी दिव्या तंवर की, जिन्होंने महज 23 साल की उम्र में IAS ऑफिसर बनकर सभी बाधाओं को पार किया और अपने साहस व मेहनत से लाखों लोगों को प्रेरित किया.


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बचपन में ही सिर से उठा पिता का साया
दिव्या हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के निम्बी गांव की रहने वाली हैं. उनका जीवन बहुत साधारण परिस्थितियों में शुरू हुआ. बचपन में ही पिता के निधन के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उनकी मां बबीता तंवर पर आ गई. उनकी मां ने हर संभव कोशिश की कि दिव्या की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए.


भारत की सबसे कठिन परीक्षा देने का लिया निर्णय
दिव्या शुरू से ही एक होनहार छात्रा थीं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा नवोदय विद्यालय से की और महेंद्रगढ़ के सरकारी महिला कॉलेज से BSc की पढ़ाई पूरी की. ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने महसूस किया कि भारत की सबसे कठिन चुनौती UPSC सिविल सेवा परीक्षा है.  


पहली प्रयास में बनीं IPS
साल 2021 में, जब दिव्या महज 21 साल की थीं, उन्होंने पहली बार इस परीक्षा के लिए प्रयास किया और ऑल इंडिया 438वीं रैंक हासिल की. इस उपलब्धि ने उन्हें भारत की सबसे युवा IPS अधिकारियों में शामिल किया. लेकिन दिव्या का सपना यहीं खत्म नहीं हुआ. उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें IAS अधिकारी बनना है.  


दूसरे प्रयास में हासिल किया IAS का पद
दिव्या ने कड़ी मेहनत जारी रखी, जिसमें विकास दिव्यकीर्ति सर ने उनका बहुत साथ दिया. दिव्या विकास सर के फेवरेट स्टूडेंट्स में से एक है, क्योंकि उनकी लगन और मेहनत ने पूरे देश को प्रभावित किया है. यही कारण है कि दिव्या ने अपने दूसरे प्रयास में ही साल 2022 में ऑल इंडिया रैंक 105 हासिल कर अपना IAS बनने का सपना पूरा कर लिया. वर्तमान में दिव्या मणिपुर कैडर में सेवा दे रही हैं और अपने दृढ़ संकल्प और महत्वाकांक्षा की मिसाल बन चुकी हैं.


बड़े सपने देखने का करें साहस
दिव्या तंवर की यात्रा एक छोटे से गांव से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के उच्चतम स्तर तक सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है. यह अटूट संकल्प की कहानी है, जो उन सभी के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं.