IAS Mamta Yadav Success Story: किसी भी बड़ी सक्सेस को अचीव करने के लिए पहले आपको कई कठिनाईयों से होकर गुजरना पड़ता है. वो कहते हैं ना कि मुश्किल हालातों में भी जो अपने लक्ष्य से नहीं भटकना, एक दिन बड़ी कामयाबी उसके कदम चुमती है. आईएएस ममता यादव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिन्होंने हालातों के सामने हार नहीं मानी और उनसे लड़कर कामयाबी हासिल कर ही ली. आइए जानते हैं कि कैसी थी IAS ममता यादव की यहां तक की जर्नी...


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IAS ममता यादव बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आती हैं, लेकिन अपनी मेहनत की बदौलत आज वो एक बड़े मुकाम पर खड़ी है. हरियाणा के एक छोटे से गांव की अफसर बिटिया ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 5वीं रैंक लाकर इतिहास रच दिया और आज लोगों के लिए प्रेरणा बन गईं.  


हरियाणा की रहने वाली हैं ममता यादव
आईएएस ऑफिसर ममता यादव हरियाणा के छोटे से गांव बसई की रहने वाली हैं. उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे और जबकि उनकी मां गृहिणी हैं. ममता ने ग्रेटर कैलाश में बलवंत राय मेहता स्कूल दिल्ली से 12वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. पढ़ाई होते ही उन्हें नौकरी के कई अच्छे ऑफर मिलने लगे. घर के आर्थिक हालात बहुत अच्छे नहीं थे. ऐसे में ममता ने जॉब करने के बारे में सोचा, लेकिन उन्हें लगा कि जॉब करने से उनका आईएएस बनने का सपना अधूरा रह जाता. इसलिए ममता ने जॉब न करके यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला कर लिया.


बिना कोचिंग पाई सफलता 
साल 2015 से वह यूपीएससी की तैयारी कर रही थी. 4 साल बाद 2019 में उन्हें पहली बार यूपीएससी की इस कठिन परीक्षा में सफलता मिली थी, लेकिन 556वीं रैंक मिली. इस रैंक के साथ उनका चयन भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा में हुआ, जो उन्हें मंजूर नहीं था. वह हर हाल में आईएएस बनना चाहती थीं. ऐसे में उन्होंने दोबारा परीक्षा देने का फैसला किया.  इस बार भी उन्होंने खूब मेहनत की और 10-12 घंटे रोज पढ़ाई को देती. 


रच दिया इतिहास
साल 2020 में ममता पूरी तैयारी के साथ एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुईं. जब परीक्षा का रिजल्ट आया तो ममता इतिहास लिख चुकी थीं. उन्होंने ऑल इंडिया 5वीं रैंक हासिल की थी. छोटे से गांव की ममता के लिए आईएएस बनना बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसे ममता ने बिना किसी कोचिंग की मदद लिए हासिल की. ममता अपने गांव की पहली आईएएस ऑफिसर हैं.