UPSC Success Story: कहानी चूड़ी बेचने वाले की, जो बिना कोचिंग के अपनी मेहनत के दम पर बन गया IAS अफसर
IAS Success Story: रमेश के पिता साइकल ठीक करने की दुकान करते थे, लेकिन उनको शराब की लत थी जिसने उनकी जान ले ली.
Who is IAS Ramesh Gholap: यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा अगले सप्ताह होने वाली है और कैंडिडेट्स भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक के लिए लगन से तैयारी कर रहे हैं. सफल अभ्यर्थियों का चयन आईएएस, आईपीएस और आईएफएस जैसी भूमिकाओं के लिए किया जाएगा. कई अभ्यर्थी पिछले टॉपर्स की उपलब्धियों से प्रेरणा लेते हैं और परीक्षा में एक्सीलेंसी प्राप्त करने के लिए रणनीति बनाते हैं.
ऐसी ही एक मोटिवेशनल स्टोरी है ऑनलाइन चर्चा में है, आईएएस अधिकारी रमेश घोलप की, जो दृढ़ संकल्प के प्रतीक हैं, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के, शारीरिक विकलांगता और वित्तीय कठिनाइयों को पार करते हुए ऑल इंडिया रैंक (एआईआर) 287 हासिल की.
कौन हैं आईएएस अधिकारी रमेश घोलप?
वर्तमान में झारखंड में ऊर्जा विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत रमेश एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में पले-बढ़े. उनके पिता गोरख घोलप साइकिल ठीक करने की दुकान करते थे, लेकिन शराब की लत के कारण उनकी तबीयत खराब हो गई और रमेश जब स्कूल में थे, तभी उनकी मृत्यु हो गई. रमेश की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में जाने के लिए पैसे भी नहीं जुटा पाए थे.
उनकी मां विमला घोलप ने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए आस-पास के गांवों में चूड़ियां बेचना शुरू कर दिया, जिसमें रमेश और उनके भाई उनकी मदद करते थे. पोलियो से पीड़ित और गंभीर आर्थिक तंगी के बावजूद, रमेश दृढ़ निश्चयी रहे. वह अपने चाचा के साथ रहने और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए महाराष्ट्र के बार्शी चले गए.
हालांकि वह अपनी पढ़ाई में अव्वल थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे पढ़ाई में डिप्लोमा हासिल करना पड़ा. उन्होंने ओपन यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में डिग्री हासिल की और 2009 में टीचर बन गए. कॉलेज के दिनों में एक तहसीलदार से हुई मुलाकात ने उन्हें और आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट किया. जब उनकी मां ने उनकी पढ़ाई के लिए पैसा जुटाया तो रमेश ने अपनी नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी के लिए छह महीने के लिए पुणे चले गए.
बिना कोचिंग के यूपीएससी पास करना
रमेश ने यूपीएससी की तैयारी के लिए काम से छह महीने का ब्रेक लिया. हालांकि 2010 में अपने पहले अटेंप्ट में वे असफल हो गए, लेकिन उन्होंने खुद से पढ़ाई जारी रखी. उनकी लगन का फल 2012 में मिला, जब उन्होंने विकलांग कोटे के तहत 287 की AIR के साथ सिविल सेवा परीक्षा पास की, और पूरी लगन और कड़ी मेहनत के दम पर IAS अधिकारी बन गए.
पहले अटेंप्ट में क्लीयर नहीं हुआ UPSC तो ठान लिया बनना तो IAS ही है फिर नौकरी छोड़कर की तैयारी
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