Lady Meherbai Tata: उन्होंने कई टूर्नामेंट में खेला और 60 से ज्यादा पुरस्कार जीते. उन्होंने दोराबजी के खेल के प्रति प्रेम को साझा किया और पश्चिमी भारत टेनिस टूर्नामेंट में 'ट्रिपल क्राउन' जीता.
Trending Photos
Meherbai Tata Olympics: टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा की बहू लेडी मेहरबाई टाटा अपने समय से आगे की महिला थीं. वह भारत की पहली नारीवादी कार्यकर्ता थीं. 1924 में, वह पेरिस ओलंपिक में टेनिस में कंपटीशन करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं, उन्होंने पारंपरिक साड़ी पहनकर ऐसा किया. मेहरबाई के प्रयासों से भारत में बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला 1929 का कानून भी बना.
1879 में जन्मी मेहरबाई की शादी 18 साल की उम्र में जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा से हुई थी. ऐसे समय में जब महिलाओं को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी, वह एक दूरदर्शी और क्रांतिकारी थीं. उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनके वोट के अधिकार की वकालत की और पर्दा प्रथा को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी.
मेहरबाई ने कठिन वित्तीय समय के दौरान टाटा समूह को बचाने में भी बहुत अहम भूमिका निभाई थी. 1924 में, जब टाटा स्टील (तब TISCO) महामंदी के कारण संघर्ष कर रही थी, तो उन्होंने कंपनी को बचाए रखने में मदद करने के लिए अपना बेशकीमती जुबली डायमंड, जो प्रसिद्ध कोहिनूर से दोगुना बड़ा रत्न था, गिरवी रख दिया. इससे बिजनेस को बचाया और इसकी निरंतर सफलता सुनिश्चित की.
दुख की बात है कि लेडी मेहरबाई का 1931 में 52 वर्ष की आयु में ल्यूकेमिया से निधन हो गया. उनके काम ने टाटा मेमोरियल अस्पताल और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के रूप में एक स्थायी विरासत छोड़ी, जिसकी फाइनेंसिंग उनके हीरे की बिक्री से प्राप्त धन से किया गया था. लेडी मेहरबाई महिला अधिकारों के लिए अपने योगदान और आधुनिक भारत को आकार देने में अपनी भूमिका के लिए एक इंस्पिरेशनल पर्सनैलिटी बनी हुई हैं.
कहानी उस IAS अफसर की, जिसने लिस्ट में नीचे से देखना शुरू किया था अपना नाम
मेहरबाई का जन्म 10 अक्टूबर, 1879 को बॉम्बे में हुआ था. उनके पिता, होर्मुसजी जे. भाभा, हायर एजुकेशन प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड जाने वाले पहले पारसियों में से एक थे. जब उनका परिवार बैंगलोर चला गया, तो उनकी शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल में हुई. 1884 में, उनके पिता को मैसूर के महाराजा कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया.
IIT ग्रेजुएट की जिद थी कि IAS ही बनना है, इसलिए IPS बनने के बाद भी दिया UPSC