JEE Advance IIT Bombay: जहां कई आईआईटी ग्रेजुएट अपनी डिग्री पाने के बाद कॉर्पोरेट में जाते हैं या बड़ा इंजीनियर बनने की इच्छा रखते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिनका सीखने का जुनून उन्हें पहले से ही शानदार एकेडमिक सक्सेस प्राप्त करने के बावजूद अपनी एजुकेशनल जर्नी जारी रखने के लिए मजबूर करता है. अनुमुला जितेंदर रेड्डी इस दुर्लभ समर्पण का उदाहरण हैं. 2010 में आईआईटी-जेईई एडवांस परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक (एआईआर) 1 के साथ टॉप स्थान हासिल करने और आईआईटी बॉम्बे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक पूरा करने के बाद, रेड्डी ने एक अपरंपरागत रास्ता अपनाया.


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कॉर्पोरेट जगत में एंट्री करने के बजाय, रेड्डी की अदम्य जिज्ञासा ने उन्हें आगे की पढ़ाई करने के लिए मोटिवेट किया. उन्होंने स्विट्जरलैंड के प्रतिष्ठित ETH ज्यूरिख से मास्टर डिग्री (M.Tech) हासिल की, और अब ETH ज्यूरिख और ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के बीच एक कंबाइंड प्रोग्राम, न्यूरोइंफॉर्मेटिक्स संस्थान में पीएचडी की ओर काम कर रहे हैं.


तेलंगाना (तब आंध्र प्रदेश का हिस्सा) के वारंगल में एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले जीतेंद्र ऐसे माहौल में पले-बढ़े, जहां एजुकेशन को बहुत महत्व दिया जाता था. उनके पिता रामचंद्र रेड्डी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में प्रोफेसर थे और उनकी मां टी. शोभा एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती थीं, जिससे घर का माहौल ऐसा बना जहां पढ़ाई को प्रोयोरिटी दी जाती थी.


वारंगल में अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा और बाद में सेंट गेब्रियल हाई स्कूल में शानदार प्रदर्शन करने के बाद, जितेंदर की गणित और विज्ञान में प्रतिभा साफ हो गई. कक्षा 12 की परीक्षा में अपने शानदार प्रदर्शन के बाद, उन्होंने आईआईटी-जेईई पर अपनी नजरें टिकाईं, आखिर में 2010 में भारत की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक में टॉप स्कोरर के रूप में उभरे. इस उपलब्धि ने उन्हें आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन दिलाया, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक पूरा किया.


ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद, जितेंदर ने कुछ समय के लिए QEA Eduventures में इंटर्नशिप की और बाद में कैलिफोर्निया में एक टेक स्टार्टअप, Caltech SURFriends के साथ काम किया. हालांकि, अपने कई साथियों के विपरीत, उन्होंने ट्रेडिशनल कॉर्पोरेट मार्ग का अनुसरण नहीं करने का फैसला किया. इसके बजाय, ज्ञान की उनकी अथक खोज ने उन्हें ETH ज्यूरिख में पहुंचाया, जहां उन्होंने 2017 में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की.


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सीखने के प्रति अपने जुनून से प्रेरित, जितेंदर अब न्यूरोइंफॉर्मेटिक्स संस्थान में पीएचडी पर काम कर रहे हैं, उनके नाम पर कई प्रभावशाली रिसर्च लेटर हैं. उनकी यात्रा एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में है कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल वित्तीय सफलता हासिल करना नहीं है, बल्कि लगातार ज्ञान प्राप्त करना और मानवीय समझ की सीमाओं को आगे बढ़ाना है.


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