Kolkata Rape Murder Case: सीबीआई की सबसे तेज तर्रार अधिकारियों में से एक माने जाने वाली ASP सीमा पाहुजा को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. पाहुजा का स्पेशल क्राइम यूनिट के तहत कई मामलों की जांच का लंबा अनुभव है, जिससे उन्हें इस जटिल मामले के लिए सबसे अच्छा विकल्प बनाया गया है. 


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2007 से 2018 के बीच, उन्हें उनके एक्सीलेंट इनवेस्टिगेशन वर्क के लिए दो बार गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. शिमला में "गुड़िया" के बलात्कार और हत्या के मामले को सुलझाने के दौरान पाहुजा ने पहली बार एक यूनिक साइंटिफिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था. उन्होंने वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर हाथरस मामले को भी निष्कर्ष पर पहुंचाया.


एक समय, पाहुजा ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का फैसला किया था, लेकिन तत्कालीन सीबीआई निदेशक ने उन्हें रिटायमेंट नहीं लेने के लिए मना लिया. अपनी ईमानदारी और बेदाग करियर के लिए जानी जाने वाली पाहुजा को बाहरी दबावों से मुक्त माना जाता है, और किसी भी मामले में उनकी शामिल होने को सफलता की गारंटी के रूप में देखा जाता है.


कब कब मिले अवॉर्ड


  • सीमा पाहुजा को पहला गोल्ड मैडल बेस्ट इन्वेस्टीगेशन अवार्ड 2007 में हरिद्वार में हुए डबल मर्डर केस को सुलझाने के लिए मिला था.

  • 2018 में ही सीमा पाहुजा को बेस्ट इन्वेस्टीगेशन के लिए गोल्ड मैडल के साथ 50000 कैश अवार्ड मिला ये सम्मान सीमा पाहुजा को शिमला का गुड़िया का रेप और मर्डर केस को सुलझाने की वजह से मिला. इस केस की इन्वेस्टीगेशन को सीबीआई की बेहतरीन इन्वेस्टीगेशन भी माना जाता है.

  • सीबीआई में सराहनीय सेवाओं के लिए सीमा को 15 अगस्त 2014 को पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था.


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क्यों सौंपे जाते हैं ऐसे मामले


  • छवि सख्त और ईमानदार होने की वजह से ऐसे मामले सौंपे जाते हैं जो बेहद पेचीदा हों

  • कई वर्षों तक सीबीआई की स्पेशल क्राइम यूनिट-1 में दे चुकी हैं अपनी सेवाएं

  • तेज तर्रार महिला अधिकारी को बेहतर काम के लिए मिल चुके हैं कई सम्मान जिनमें पुलिस पदक भी हैं शामिल 


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