गुजरात: टीचरों ने नौकरी के बाद ली हायर एजुकेशन, किया गया `डिमोट`!
Gujarat Teachers: डोडिया, परमार और राज्यगुरु 1980 और 1990 के दशक से भावनगर शहर के नगरपालिका बोर्ड के स्कूलों में सेवा दे रहे हैं. उस समय प्राइमरी टीचर के पद के लिए जरूरी योग्यता प्राइमरी टीचिंग में सर्टिफिकेट कोर्स के साथ केवल माध्यमिक स्कूली शिक्षा थी.
Teachers Demoted: गुजरात हाईकोर्ट उन तीन प्राइमरी टीचर्स के केस की सुनवाई कर रहा है जिन्हें डिमोट कर दिया गया. इन टीचर्स को अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री प्राप्त करने को लेकर डिमोट कर दिया गया.
न्यायमूर्ति निखिल कारियल की पीठ ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जिसका मतलब है कि मगन डोडिया, सावजी परमार और हरेश राज्यगुरु अगले आदेश तक मुख्य शिक्षक के रूप में काम करना जारी रखेंगे. अदालत ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई बुधवार को तय की है.
डोडिया, परमार और राज्यगुरु 1980 और 1990 के दशक से भावनगर शहर के नगरपालिका बोर्ड के स्कूलों में सेवा दे रहे हैं. उस समय प्राइमरी टीचर के पद के लिए जरूरी योग्यता प्राइमरी टीचिंग में सर्टिफिकेट कोर्स के साथ केवल माध्यमिक स्कूली शिक्षा थी.
राज्य सरकार द्वारा प्रमोशन के लिए कुछ योग्यता मानदंड लागू करने के बाद, तीनों ने हेड टीचर्स एप्टीट्यूड टेस्ट (एचटीएटी) परीक्षा पास की - जो मुख्य शिक्षक बनने के लिए जरूरी है - और उन्हें 2012 में इस पद पर प्रमोट किया गया.
8 दिसंबर, 2023 को, भावनगर नगर शिक्षा समिति ने उनके प्रमोशन को रद्द कर दिया और उन्हें प्राथमिक शिक्षकों के उनके मूल पद पर पदावनत कर दिया. यह सजा विभाग से उचित अनुमति के बिना उच्च शिक्षा प्राप्त करने के "कदाचार" के लिए थी.
तीनों टीचर हाईकोर्ट पहुंचे, जहां उनके वकील शालीन मेहता और शिखा पांचाल ने कहा कि इन शिक्षकों ने हायर स्टडीज करने की अनुमति मांगी थी. जबकि प्राधिकरण ने डोडिया और परमार के ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के अनुरोध का जवाब नहीं दिया, राज्यगुरु को 1988 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने और फिर 2010 में फिर से मास्टर डिग्री प्राप्त करने की अनुमति दी गई. फिर भी राज्यगुरू को यह सजा दी गई.
वकीलों ने यह भी शिकायत की कि जांच रिपोर्ट कभी भी शिक्षकों के साथ शेयर नहीं की गई ताकि वे ऑथरिटी को जवाब दे सकें.