QS World University Ranking 2023: क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी की रैंगिेग लिस्ट जारी हो चुकी है. क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में 147वीं रैंक हासिल कर आईआईटी-बॉम्बे दुनिया के टॉप 150 यूनिवर्सिटी में शामिल हो गया है. इसके अलावा दिल्ली यूनिवर्सिटी 407वीं और अन्ना यूनिवर्सिटी 427वीं पोजिशन के साथ दुनिया के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों एंट्री के साथ ही इस स्तर पर अपनी शुरुआत कर रहा है. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर टॉप 3 में शामिल हैं. 


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इस आधार पर मिली रैंकिंग
इस साल क्यूएस ने तीन नए मेट्रिक्स स्थिरता(Sustainability), रोजगार परिणाम (Employment Outcomes ) और अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क (International Research Network) पेश करके अपनी अब तक की सबसे बड़ी पद्धतिगत वृद्धि (Methodological Enhancement) को लागू किया है. साथ ही तीन मौजूदा संकेतकों  शैक्षणिक प्रतिष्ठा (Academic Reputation), नियोक्ता प्रतिष्ठा (Employer Reputation) और फैकल्टी-छात्र अनुपात (Faculty-Student Ratio) के वेटेज को फिर व्यवस्थित किया है.  हालांकि, नई पद्धति के अनुसार संशोधित वेटेज ने भारतीय संस्थानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. 


आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक सुभासिस चौधरी ने कहा, "शिक्षण और अनुसंधान में उत्कृष्टता आईआईटी-बॉम्बे के लिए प्रमुख प्रेरक बिंदु है. हमारा प्रयास एक ऐसा माहौल और बुनियादी ढांचा प्रदान करना है जो हमारे छात्रों और शिक्षकों द्वारा उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए अनुकूल हो. हायर रैंक हासिल करना केवल एक बायप्रोडक्ट है और यह कभी भी अपने आप में एक लक्ष्य नहीं होता है."


कुछ विवि फिसलकर पहुंचे नीचले पायदान पर
क्यूएस रैंकिंग 2023 में आईआईएससी बेंगलुरु, 155 से घटकर 225 पर और आईआईटी-मद्रास (285) 35 रैंक से नीचे आ गया. भारत के पिछले साल की तुलना में टॉप 200 में एक विश्वविद्यालय कम है. आईआईएससी  रीसेट पद्धति में निचली रैंक पर आया, आंशिक रूप से इसके फैकल्टी-छात्र रेशियो को दिए गए संशोधित वेटेज के कारण, जो इसकी स्ट्रेन्थ रहा है. यह एडिशन इस सूचक को 50 फीसदी कम महत्व देता है.


एनईपी की हुई सराहना
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना करते हुए, क्यूएस की मुख्य कार्यकारी जेसिका टर्नर ने कहा, "एनईपी की साहसिक शुरुआत देश की शिक्षा प्रणाली को अनुकूलित और आधुनिक बनाने के दृढ़ संकल्प को उजागर करती है. यह सीखने के माहौल को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करता है. भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य के लिए स्थिरता, वैश्विक जुड़ाव और रोजगारपरकता पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है."