Maharashtra News: शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने बुधवार को कहा कि उनके पिता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मौजूदा समय में राज्य का सबसे ज्यादा स्वीकार्य चेहरा हैं. आदित्य ठाकरे का बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस नेताओं ने इस बात की ओर इशारा किया है कि मुख्यमंत्री का पद गठबंधन में हमेशा उस दल को जाता है जिसके पास सबसे अधिक सीट होती हैं. एक कार्यक्रम में आदित्य ने कहा कि उनके पिता महाराष्ट्र के अगुआ नेताओं में हैं जो राज्य की बागडोर संभाल सकते हैं.


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इंडिया गुट का हिस्सा हैं तीनों पार्टियां


कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और NCP (शरदचंद्र पवार) राज्य में विपक्षी महा विकास आघाडी गठबंधन का और राष्ट्रीय स्तर पर I.N.D.I.A. गठबंधन का हिस्सा हैं. आदित्य से जब पूछा गया कि शिवसेना (यूबीटी) क्या करेगी अगर कांग्रेस को राज्य विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीट मिलती हैं? जवाब में उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के दौरान उनके पिता की अगुआई वाली सरकार के किए गए कामों का हवाला देते हुए कहा कि गत कुछ दशक में यह सबसे बेहतरीन सरकार थी. 


आदित्य ने कहा, 'आज भी वह सबसे स्वीकार्य चेहरा हैं. अगर आप महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाकों, महाराष्ट्र के कृषि क्षेत्रों में जाएंगे और (लोगों से पूछेंगे) तो वे आपको बताएंगे कि उद्धव बालासाहेब ठाकरे एकमात्र ऐसे शख्स हैं जो हमारे सबसे कठिन समय में हमारे साथ खड़े रहे.' 


उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'अगर आज कोई ऐसा शख्स है जो राज्य के लोगों को एकजुट कर काबिल तरीके से अगुआई कर सकता है, तो हां, उद्धव बालासाहेब ठाकरे उन लोगों में से एक हैं जो महाराष्ट्र का नेतृत्व कर सकते हैं क्योंकि हम ऐसा शख्स चाहते हैं जो महाराष्ट्रीयन गौरव की बात करे.'


'निर्भर करेगा हम कैसा प्रदर्शन करेंगे'


आदित्य ने कहा, ‘‘आज की स्थिति में, अगर आप मुझसे पूछें कि क्या आप उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएंगे? मुझे लगता है कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम कैसा प्रदर्शन करते हैं.’’ उन्होंने आगे कहा, "एमवीए में हमारी स्पष्ट समझ है. हम पद के लिए नहीं लड़ रहे हैं. हम मुख्यमंत्री पद या स्वार्थी उद्देश्यों के लिए नहीं लड़ रहे हैं, यही वजह है कि भाजपा ने हमारे साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया. हम महाराष्ट्र के गौरव के लिए लड़ रहे हैं, जो भाजपा के कुशासन के कारण खो गया है.'


लोकसभा चुनाव की बात करें तो एमवीए में कांग्रेस ने 13, शिवसेना यूबीटी ने 9 और एनसीपी (शरद पवार) ने 8 सीटें जीती थीं. यानी एमवीए को कुल 48 में से 30 सीटें मिलीं, जबकि महायुति को 17 सीटों से संतोष करना पड़ा था.