Analysis: क्या हरियाणा में बढ़ेगी भाजपा की मुश्किल? किसान आंदोलन- कृषि कानूनों पर क्यों बोले मनोहर लाल खट्टर और कंगना रानौत
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Analysis: क्या हरियाणा में बढ़ेगी भाजपा की मुश्किल? किसान आंदोलन- कृषि कानूनों पर क्यों बोले मनोहर लाल खट्टर और कंगना रानौत

Manohar Lal Khattar And Kangana Ranaut Statement: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और मंडी से लोकसभा सांसद कंगना रानौत के किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर हालिया बयानों पर सियासी विवाद बढ़ने की आशंका है. सत्तारूढ़ भाजपा हरियाणा चुनाव के बीच मुश्किल खड़ी करने वाले ऐसे बयानों से बचने की कोशिश में भी जुटी है.

Analysis: क्या हरियाणा में बढ़ेगी भाजपा की मुश्किल? किसान आंदोलन- कृषि कानूनों पर क्यों बोले मनोहर लाल खट्टर और कंगना रानौत

Haryana Assembly Election 2024 News: हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी जिन बातों से बचने की कोशिश कर रही थी, वह बार-बार सामने आ रही है. जानकारों के मुताबिक किसान आंदोलन और वापस लिए जा चुके तीन कृषि कानूनों को लेकर बयानों में एहतियात नहीं बरतने से हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. 

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर हरियाणा में सियासी शोर

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से सांसद कंगना रानौत के हालिया बयानों पर कांग्रेस के पलटवार ने इस मुद्दे को फिर से सतह पर ला दिया है. भाजपा के दिग्गज नेताओं के बयानों को कांग्रेस चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में जुट गई है. सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना रानौत तो पवन खेड़ा ने मनोहर लाल खट्टर को घेरना शुरू कर दिया.

कंगना रानौत के बयानों से किनारा, खट्टर पर भाजपा ने साधी चुप्पी

वहीं, भाजपा ने कुछ ही समय में दूसरी बार अपनी सांसद और बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रानौत के बयानों से किनारा कर लिया. हालांकि, भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. केंद्र द्वारा वापस लिए जा चुके तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की बात बोलकर कंगना रनौत कांग्रेस के निशाने पर आ गईं. इसके बाद खुद कंगना को भी वीडियो जारी कर कहना पड़ा कि यह उनकी निजी राय है और भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है. 

'शंभू बॉर्डर पर आंदोलन करने वाले किसानों के नाम पर एक मुखौटा'

मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को एक टीवी इंटरव्यू में और फिर चुनाव प्रचार के दौरान अंबाला में कहा कि शंभू बॉर्डर पर आंदोलन करने वाले किसानों के नाम पर एक मुखौटा हैं, क्योंकि किसान को खेती कैसे होती और कैसे अच्छी खेती कर आदमनी बढ़ाएं, ये काम होता है. एक ग्रुप ऐसा है जिसे सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़ा करना है. उन्होंने कहा कि हमने हरियाणा में किसानों के लिए कई काम किए, इसलिए हरियाणा का किसान आंदोलन नहीं करता. 

कांग्रेस ने खट्टर के बयानों को बनाया सियासी मुद्दा, पूछे तीखे सवाल

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इसे मुद्दा बनाते हुए कहा कि साढ़े नौ साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर को भाजपा के पोस्टर पर जगह नहीं मिलती. आखिर वे हरियाणा में किसके नेता रह गए हैं? खट्टर ने साफ कहा कि हरियाणा-पंजाब सीमा पर कुछ लोग किसान होने का दिखावा करते हैं, लेकिन उनका मकसद सरकार को अस्थिर करना होता है. मामला अदालत में है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक समिति इसके समाधान पर काम कर रही है.

कंगना रानौत के यू-टर्न लेते ही किसानों पर मनोहर लाल का बयान

कंगना रानौत के यू-टर्न लेते ही मनोहर लाल खट्टर के किसानों से जुड़े बयान के बाद कांग्रेस की सक्रियता से हरियाणा में भाजपा के लिए नई मुश्किल पैदा होते दिख रही है. कांग्रेस में कुमारी शैलजा की नाराजगी का मुद्दा पीछे छूट गया. वहीं, भाजपा पर किसान विरोधी होने का आरोप चर्चा में शामिल होने लगा. हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे में भाजपा के प्रदर्शन में आई कमी को किसानों की नाराजगी से जोड़कर ही देखा गया था.

हरियाणा चुनाव में चौतरफा घिरी सत्तारूढ़ भाजपा, बढ़े कई प्रतिद्वंदी

इसके अलावा, भाजपा के साथ बना जेजेपी का गठबंधन टूटने की वजह भी किसान आंदोलन को ही बताया गया था. इस बार भाजपा के लिए सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी भी चुनौती पेश कर रही है. स्थानीय पार्टी जेजेपी का एएसपी से गठबंधन और इनेलो का बसपा से गठबंधन भी सत्ता के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. ऐसे में 10 साल की एंटी इंकंबेसी से जूझ रही भाजपा फूंक-फूंक कर आगे कदम बढ़ाना चाह रही है.

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हरियाणा के हालिया चुनावों में भाजपा के खराब प्रदर्शन की बड़ी वजह

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, विधानसभा चुनाव से छह महीने और लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री पद से हटाए गए मनोहर लाल खट्टर के इन बयानों से भाजपा की अंदरूनी कलह की गंध भी आती है. हालिया लोकसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा के प्रदर्शन खराब होने के पीछे भी किसानों के गुस्से के अलावा आंतरिक संघर्षों को बड़ी वजह बताया गया था. विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा फिर ऐसी स्थिति बनने का खतरा मोल नहीं ले सकती.

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हरियाणा में किसानों का बड़ा वोट बैंक, जातीय समीकरण भी ताकतवर

हरियाणा में किसानों का बड़ा वोट बैंक है और खासकर ओबीसी जाति में इसकी पैठ है. हरियाणा में 27 फीसदी जाट और 21 फीसदी दलित वोटों के बंटवारे की साफ दिखती सूरत के बीच अगर किसान ओबीसी वर्ग भी भाजपा से बिदका तो इसका बेहद बुरा नतीजा सामने आ सकता है. जातीय और सियासी समीकरण के अलावा हरियाणा चुनाव में भाजपा इसलिए भी जीत हासिल करना चाहती है कि आने वाले महीनों में महाराष्ट्र और झारखंड में भी चुनाव है.

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