Haryana Chunav 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अगले होने वाले मतदान के लिए अब 2 हफ्ते से भी कम समय बचा है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. हरियाणा चुनाव में कुछ महीने पहले तक सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) के बीच सीधा टक्कर माना जा रहा था. लेकिन, कांग्रेस और आदमी पार्टी (AAP) के बीच गठबंधन नहीं होने और फिर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को जमानत मिलने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.


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सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को जमानत


बता दें कि हाल ही में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट ने तथाकथित शराब नीति घोटाले मामले में कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी थी, जिसके बाद से वो हरियाणा चुनाव में एक्टिव हो गए हैं. इसके कुछ दिन पहले पार्टी के एक अन्य दिग्गज नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को भी जमानत मिल गई थी.


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जेल से बाहर आते ही केजरीवाल ने लिए बड़े स्टेप


जेल से बाहर आते ही अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कई बड़े स्टेप लिए. दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना और चुनावी राज्य हरियाणा में भव्य रोड शो करना उसी चुनावी कदम का हिस्सा रहा. 20 सितंबर को रोड शो के दौरान केजरीवाल ने एक ऐसा बयान दिया, जो हरियाणा में चुनाव लड़ रहीं सभी राजनीतिक पार्टियों के अंदर चर्चा का विषय बना हुआ है.


AAP के बिना हरियाणा में नहीं बनेगी कोई सरकार: केजरीवाल


दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार (20 सितंबर) को हरियाणा में रोड शो करके अपने चुनाव प्रचार का श्रीगणेश किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश में 'आम आदमी पार्टी' के बिना कोई सरकार नहीं बनेगी. पार्टी के दो दिग्गज नेताओं को जेल से मिली जमानत के कारण पहले ही 'आप' कार्यकर्ताओं के अंदर जोश और उत्साह देखने को मिल रहा था, वहीं उनके के इस बयान ने पार्टी समर्थकों के जोश में ईंधन डालने का काम कर दिया है.


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अरविंद केजरीवाल के इस बयान के सियासी मायने


कुछ दिन पहले तक हरियाणा में कांग्रेस के साथ 'आप' के गठबंधन की कयास लगाए जा रहे थे, वहीं अब साफ हो गया है कि यहां पर दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी. हरियाणा में कोई भी सरकार 'आप' के समर्थन के बिना नहीं बनेगी, केजरीवाल के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. केजरीवाल के बयान का पहला मतलब तो यह है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी 'आप' अब तीसरे राज्य हरियाणा में अपने फैलाव को लेकर काफी गंभीर है. हालांकि, पिछली बार पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक था और 2019 विधानसभा चुनाव में एक परसेंट से भी कम वोट मिले थे, लेकिन अगर इस बार पार्टी अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने में कामयाब हो जाती है और इसको चार से पांच प्रतिशत तक बढ़ा देती है और सात से आठ सीट निकालने में कामयाब होती है तो 90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में पार्टी किंग मेकर की भूमिका में आ जाएगी.


चुनाव के बाद किसके साथ जाएगी आम आदमी पार्टी?


हरियाणा में बहुमत के लिए किसी भी दल को 46 सीटों की आवश्यकता है और ऐसे में किसी तीसरी पार्टी को पांच या उससे अध‍िक सीट म‍िलती है तो किसी सरकार को गिराने और बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. हालांकि, हरियाणा को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) की जो रणनीति है, उसमें साफ दिखता है कि पार्टी भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मुखर है, वहीं कांग्रेस को लेकर चुप है. दूसरी तरफ हाल ही संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के लिए बनाए गए गठबंधन में कांग्रेस और 'आप' एक ही विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल थे. ऐसे में अभी भी चुनावी नतीजों के बाद दोनों दलों के साथ मिलने की प्रबल संभावना बनी हुई है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस)