Big reasons for Congress victory in Haryana: 10 साल तक सत्ता से दूर रहने के बाद कांग्रेस आखिरकार फिर से पावर में वापस आ रही है. धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस हरियाणा में अपने बलबूते बहुमत हासिल करती दिख रही है. इसके साथ ही राज्य में पिछले एक दशक से चला आ रहा बीजेपी का शासन खत्म हो रहा है. इस जीत के संकेत मिलते ही जहां कांग्रेस समर्थक जोश से लबरेज हैं, वहीं बीजेपी खेमे में सन्नाटा छाया हुआ है. 9 बजे तक मिले रुझानों के मुताबिक हरियाणा में कांग्रेस 90 में से 67 सीटों पर आगे चल रही है जबकि भाजपा को 21 सीटों पर ही बढ़त है.


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कांग्रेस की जीत के 5 बड़े कारण


राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, कांग्रेस की इस जीत में एक नहीं बल्कि 5 बड़े कारण जिम्मेदार रहे, जिन्होंने पीएम मोदी के खूब जोर लगाने के बावजूद सत्ता बीजेपी से छीन ली. अब चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद कांग्रेस में नए सीएम को लेकर हलचल तेज हो सकती है. सभी दावेदार अपने- अपने पक्ष में लामबंदी करने में लग गए हैं.


राजनीतिक एक्सपर्टों का कहना है कि कांग्रेस की जीत की पहली बड़ी वजह एंटी- इनकंबेंसी फैक्टर है. पिछले 10 साल से शासन कर रही बीजेपी से प्रदेश के लोग बोर हो गए थे. छोटी- छोटी समस्याओं को लेकर उनमें सरकार से नाराजगी बढ़ रही थी, जिसे कांग्रेस ने बेहतरीन तरीके से कैश कर लिया.


युवाओं ने कांग्रेस को लगाया गले


कांग्रेस की जीत में दूसरी बड़ी भूमिका जवानों यानी युवाओं ने निभाई. असल में भारतीय सेना में सबसे ज्यादा भागीदारी पंजाब राज्य के बाद हरियाणा की ही रहती है. लेकिन मोदी सरकार की ओर से अग्निवीर स्कीम लॉन्च होने के बाद से सेना में भर्ती के प्रति युवाओं का क्रेज एकदम से काफी घट गया. इसे लेकर युवाओं में गुस्सा था, जो उन्होंने वोटों के जरिए खूब जाहिर भी किया.


LIVE: हरियाणा में किस सीट से कौन जीत रहा


हरियाणा में कांग्रेस की जीत में तीसरी बड़ी वजह किसानों की नाराजगी बनी. तमाम फसलों पर एमएसपी की लिखित गारंटी, कृषि लोन बढ़ाने, सब्सिडी देने जैसी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब के किसान लंबे समय से धरना देते आ रहे हैं. इसका हरियाणा के किसान भी समर्थन करते आ रहे हैं. लेकिन जब हरियाणा की बीजेपी सरकार और मोदी सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया तो किसानों ने भी बीजेपी को झटका दे दिया.


कामयाब रहा महिला पहलवानों का मुद्दा?


महिला पहलवानों से कथित यौन शोषण के मुद्दे पर विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने दिल्ली में लंबा आंदोलन चलाया था. उन्होंने मोदी सरकार पर सीधा हमला तो नहीं बोला लेकिन बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार न करने पर बीजेपी पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना जरूर साधा था. विनेश के जाट होने की वजह से तमाम खाप पंचायतें उनके फेवर में खड़ी हो गईं और बीजेपी को सबक सिखाने का फैसला कर लिया. यह कांग्रेस के लिए फायदे वाला सौदा रहा और उसे बैठे बिठाए जमकर वोट मिल गए.


बाकी राज्यों की तरह बीजेपी ने हरियाणा असेंबली चुनाव भी पूरी तरह पीएम मोदी के चेहरे और उनके काम पर लड़ा. जबकि कांग्रेस ने राज्य के स्थानीय मुद्दों को फोकस करके चुनाव लड़ा. इसके चलते जनता से खुद को कनेक्ट करने के मामले में कांग्रेस आगे निकल गई और इलेक्शन में खूब भर- भरकर वोट मिले.