Maharashtra assembly election result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने बड़ी जीत दर्ज की है. इस जीत ने सिर्फ सत्ता का समीकरण बदला नहीं, बल्कि असली और नकली शिवसेना की बहस को भी खत्म कर दिया. महाराष्ट्र की जनता ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना को असली शिवसेना मानकर उसे अपना आशीर्वाद दिया.


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असली-नकली में नहीं जाऊंगा : शिंदे


मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव के नतीजों पर कहा, "जनता ने आज बता दिया कि असली शिवसेना कौन है. बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा और बीजेपी गठबंधन वाली शिवसेना पर लोगों ने भरोसा जताया है." यह बयान शिंदे गुट की वैधता को स्पष्ट करता है.


उद्धव ठाकरे की विरासत पर सवाल


उद्धव ठाकरे अपनी विरासत को बचाने में विफल रहे. 2019 में जब उन्होंने एनडीए से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया, तभी शिवसेना में दरार पड़ गई थी. इस फैसले के बाद 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह हुआ, जिसने उद्धव की सरकार को गिरा दिया.


नतीजे ने बताया असली शिवसेना कौन


शिवसेना शिंदे गुट ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ा और 57 सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना यूबीटी ने 95 सीटों पर लड़कर सिर्फ 20 सीटें जीतीं. शिंदे गुट का स्ट्राइक रेट 67% रहा, जो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि जनता ने शिंदे को असली शिवसेना के रूप में स्वीकार किया.


हिंदुत्व और विचारधारा की जीत


महाराष्ट्र की जनता ने स्पष्ट किया कि वे हिंदुत्व और बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा पर आधारित शिवसेना के साथ हैं. इस विचारधारा को लेकर शिंदे गुट ने अपनी योजनाओं और कामकाज से जनता का विश्वास जीता, जबकि उद्धव ठाकरे गुट को जनता ने नकार दिया.


जनता ने सही फैसला किया: फडणवीस


डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "लोगों ने एकनाथ शिंदे जी को रियल शिवसेना के रूप में स्वीकार किया है. बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना की वैधता एकनाथ शिंदे को मिली है." यह बयान महायुति की मजबूत स्थिति को और अधिक स्पष्ट करता है.


क्या उद्धव की राजनीति खत्म?


चुनाव परिणामों के बाद बड़ा सवाल यह है कि क्या उद्धव ठाकरे की राजनीति खत्म हो गई है. उनकी पार्टी को जनता ने पूरी तरह खारिज कर दिया. अब शिवसेना का बड़ा धड़ा शिंदे के साथ है, और यह तय हो गया है कि महाराष्ट्र में शिवसेना का नेतृत्व कौन करेगा.


जिसके पास सिंबल, वही विजेता


शिवसेना में असली और नकली की बहस का फैसला जनता ने कर दिया. एकनाथ शिंदे गुट ने अपनी योजनाओं, कामकाज और विचारधारा के आधार पर जनता का भरोसा जीता. इस जीत ने न सिर्फ उद्धव ठाकरे के सपनों को तोड़ा, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में शिंदे की मजबूत स्थिति को भी स्थापित कर दिया.